नई दिल्लीः सरकार ने वोडाफोन-आइडिया के लिए एक बड़े राहत पैकेज को बुधवार को मंजूरी दी। इसके तहत उसके बकाया भुगतान से पांच साल की मोहलत दी गई है। इससे कर्ज में फंसी दूरसंचार कंपनी को बड़ी राहत मिली है। निर्णय से अवगत सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) के 87,695 करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया पर रोक लगाने पर सहमति जतायी है जिसे संकटग्रस्त कंपनी को वित्त वर्ष से 2031-32 से 2040-41 तक चुकाना होगा।
एजीआर बकाया से तात्पर्य समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के आधार पर दूरसंचार कंपनियों द्वारा सरकार को देय भुगतान से है। यह वह राजस्व है जिस पर दूरसंचार संचालकों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का भुगतान करना होता है। इसमें सभी राजस्व शामिल हैं यहां तक कि गैर-दूरसंचार आय (जैसे ब्याज, किराया, परिसंपत्ति बिक्री) भी।
सूत्रों ने कहा कि इन बकाया राशियों के अलावा वित्त वर्ष 2017-18 और वित्त वर्ष 2018-19 से संबंधित एजीआर बकाया (जिसे उच्चतम न्यायालय के 2020 के आदेश द्वारा पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है) वोडाफोन-आइडिया द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 के दौरान बिना किसी बदलाव के देय होगा। वोडाफोन-आइडिया लंबे समय से वित्तीय संकट से जूझ रही है,
जिसका मुख्य कारण कड़ी मूल्य प्रतिस्पर्धा, अत्यधिक कर्ज और एजीआर की परिभाषा में बदलाव के कारण उत्पन्न भारी देनदारियां हैं। कंपनी लगातार घाटे, घटते ग्राहक आधार और नेटवर्क विस्तार में निवेश करने की सीमित क्षमता से जूझ रही है जबकि प्रतिद्वंद्वी कंपनियां 4जी और 5जी नेटवर्क को तेजी से पेश कर रही हैं।
सरकार के बार-बार दी गई राहत और बकाया राशि को इक्विटी में परिवर्तित करने से कंपनी किसी तरह चल रही है, लेकिन इसकी दीर्घकालिक स्थिरता निरंतर नीतिगत समर्थन, नए पूंजी निवेश और परिचालन प्रदर्शन में सुधार पर निर्भर करती है। कुछ लोगों को उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल एजीआर बकाया राशि का कुछ हिस्सा या शायद पूरा ही माफ कर देगा।
हालांकि मंत्रिमंडल ने इसके बजाय, बकाया राशि पर रोक लगाने का फैसला किया जिससे कंपनी को उबरने का समय मिल जाएगा। सूत्रों ने बताया कि रोकी गई बकाया राशि का पुनर्मूल्यांकन लेखापरीक्षा रिपोर्ट के आधार पर एक समिति द्वारा किया जाएगा और इसका परिणाम दोनों पक्षों का मानना होगा।
उन्होंने बताया कि इन निर्णयों से दूरसंचार कंपनी में करीब 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली सरकार के हितों की रक्षा होगी। साथ ही स्पेक्ट्रम नीलामी शुल्क और एजीआर बकाया के रूप में केंद्र को देय राशि का व्यवस्थित भुगतान सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, वीआईएल इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में बनी रहेगी और उसके 20 करोड़ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।