नई दिल्ली: सुभाष चंद्रा ने अपनी कंपनी द्वारा पुनित गोयनका को सीईओ पद से हटाने की पेशकश के बावजूद 10 बिलियन डॉलर के सौदे के पीछे सोनी की मंशा पर सवाल उठाया है। जी चेयरमैन ने ईटी को एक इंटरव्यू में बताया कि चंद्रा ने सोनी पर जानबूझकर डील में बाधा डालने और कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की धमकी देने का आरोप लगाया।
सुभाष चंद्रा ने दावा किया कि डील के अंतर्गत जी ने सभी शर्तों को पूरा किया था और इस डील से बाहर निकलना ये सोनी की सोची समझी रणनीति है। उन्होंने कहा कि जी के साथ जुड़ने और अंततः पीछे हटने से दोनों पक्ष को नुकसान हो सकता है।
डील में दरार की वजहबता दें कि इस डील पर तकरार तब शुरू हुई जब सेबी ने जून में कहा कि गोयनका और उनके पिता चंद्रा ने अपने पद का दुरुपयोग किया और अपने फायदे के लिए धन का गबन किया।
सेबी ने इस कदम के बाद ही न ही सुभाष चंद्रा को और न ही उनके बेटे को कंपनी में किसी भी अहम पद यानी कार्यकारी या निदेशक के पद पर बैठने से साफ इनकार कर दिया। जबकि, अब कंपनी में लगातार जांच चल रही है। फिर, भी गोयनका नई गठित कंपनी का अंतरिम सीईओ बनने की पेशकश करते रहे, लेकिन सोनी चाहती थी कि उनके इंडिया ऑपरेशन के सीईओ एन.पी.सिंह को बनाया जाए।
ईकोनॉमिक टाइम्स के इंटरव्यू में सुभाष चंद्रा ने पैसों की हेराफेरी के आरोप को सिरे से नकार दिया। "अगर पैसा स्थानांतरित किया गया होता, तो वो इसकी बात सामने आती", यह कहते हुए कहा कि उन्होंने बैंकों को करीब 40,000 करोड़ रुपये चुका दिए हैं। चंद्रा ने ईटी को बताया कि साल 1998-99 में, एक विश्लेषक ने भविष्यवाणी की थी कि जी इस प्रतिस्पर्धी माहौल में टिक नहीं पाएगा, हम न केवल बचे रहे, बल्कि फले-फूले भी।