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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका एमटीआर विरासत को आगे बढ़ाते हुये 100 साल का हुआ

By अनुभा जैन | Updated: January 12, 2024 14:06 IST

एमटीआर एक मील का पत्थर बन गया, हालांकि, 1968 में, यज्ञनारायण मैया का निधन हो गया, उन्होंने अपने भतीजे हरिश्चंद्र मैया को जिम्मेदारी सौंपी और यह विरासत आज तीसरी पीढ़ी के साथ जारी है।

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बेंगलुरु: एमटीआर या मावल्ली टिफिन रूम बेंगलुरु का सबसे प्रतिष्ठित रेस्तरां है। एमटीआर बेंगलुरुवासियों के बीच सबसे लोकप्रिय भोजनालय है और 1924 से दक्षिण भारतीय भोजन परोसने में एक प्रसिद्ध नाम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका एमटीआर विरासत को आगे बढ़ाते हुये इस साल 2024 में 100 साल का हो गया।

विश्व स्तर पर प्रशंसित एमटीआर की लंदन, सिंगापुर, दुबई और क्वालालंपुर दुनिया भर में शाखाएं हैं। यह वह स्थान है जो रवा इडली और कई अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ गाढ़ा डोसा, तीखा बिसिबेले भात और ताज़ी पिसी हुई ’फ़िल्टर’ कॉफ़ी के लिये विश्व प्रसिद्व है। चंद्रहारा एमटीआर की ट्रेडमार्क मिठाई है जो केवल रविवार को परोसी जाती थी।

1950 के दशक के दौरान शुरू हुई और मूल रूप से इसे ’फ़्रेंच स्वीट’ कहा जाता था, पास के एक सिनेमा हॉल में इसी नाम से चल रही एक फिल्म के बाद इसका नाम बदलकर चंद्रहारा कर दिया गया और तब से इसकी लोकप्रियता और बढ़ गयी।

1920 में विशेषज्ञ रसोइये परमेश्वर मैया, गणप्पाय्या मैया और यज्ञनारायण मैया, तीनों भाइयों ने उडुपी के पास अपने छोटे से गाँव को छोड़ बेंगलुरु की ओर रूख किया। वे शहर में उस समय के कुछ प्रमुख लोगों के घरों में रसोइये के रूप में काम करने लगे। 1924 में, परमेश्वर मैया, गणपय्या मैया ने अपने एम्प्लॉयर की मदद से बेंगलुरु के लालबाग फोर्ट रोड पर ’ब्राह्मण कॉफी क्लब’ नाम से कॉफी और इडली परोसने वाला एक छोटा सा आउटलेट शुरू किया। यह रेस्तरां अपने स्थान के कारण ’मावल्ली थिंडी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

पांच साल बाद, परमेश्वर मैया की मृत्यु पर, यज्ञनारायण मैया अपने भाई के साथ रेस्तरां चलाने में शामिल हो गए। यज्ञनारायण मैया या यज्ञप्पा ने अगले तीन दशकों तक रेस्तरां का प्रबंधन सहजता से किया। गौरतलब है कि यज्ञप्पा एक रचनात्मक और आविष्कारी शेफ के रूप में प्रसिद्ध थे। जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बैंगलोर में चावल की भारी कमी थी, तब उन्होंने ऊपर काजू लगाकर रवा इडली बनाई।

यज्ञप्पा ने 1940 के दशक में बेंगलुरु में ड्राइव-इन सेवा की शुरुआत की। 1951 में, वह यह अध्ययन करने के लिए यूरोप के दौरे पर गए कि वहां के रेस्तरां कैसे काम करते हैं। वह एक प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में लौटे और अपने ज्ञान पर आधारित रेस्तरां में उन्होने काफी बदलाव किए। उन्होंने स्वच्छता, स्वास्थ्य, सेनिटेशन और बर्तनों की स्टरलाइजेशन के लिए नए मानक पेश किए।

36 साल के लंबे व्यवसाय के बाद, उन्होंने रेस्तरां का नाम ’मावल्ली टिफिन रूम्स’ या एमटीआर रखा। 1960 में, रेस्तरां बेंगलुरु के लालबाग रोड पर अपने वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित हो गया और एमटीआर के कद और नाम में वृद्धि हुई। 1976 वह दौर था जब एमटीआर का पैकेज्ड फूड कारोबार शुरू हुआ था जो आज बेहद सफलता के साथ चल रहा है।

एमटीआर एक मील का पत्थर बन गया, हालांकि, 1968 में, यज्ञनारायण मैया का निधन हो गया, उन्होंने अपने भतीजे हरिश्चंद्र मैया को जिम्मेदारी सौंपी और यह विरासत आज तीसरी पीढ़ी के साथ जारी है।

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