नागपुरः डॉ बाबासाहब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल के निजीकरण की तैयारी के बीच हाल ही में जीएमआर हैदराबाद के पक्ष में आए हाईकाेर्ट के फैसले के बाद निविदा के लिए नए मसाैदे के काम में जुटी सलाहकार कंपनी ने काम काे विराम दे दिया है.
2009 में एयरपाेर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया से विमानतल हस्तांतरण के बाद से मिहान इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) विमानतल निजीकरण की तैयारी में है. निजीकरण के लिए पूर्व में सलाहकार कंपनी अर्नेस्ट यंग ने 2018 में डाॅक्यूमेंट तैयार किया था. इस समय तक कुल लाभ में भागीदारी वाला माॅडल तय था.
इसके बाद 2019 में निविदा निकाली गई और जीएमआर ने शुरुआत में ही एमआईएल काे कुल मुनाफे में से केवल 5.76 फीसदी हिस्सा देने काे लेकर बाेली लगाई थी. कम हिस्सेदारी काे लेकर आपत्तियां उठने पर चर्चाओं के बाद जीएमआर ने हिस्सेदारी बढ़ाकर 14.49 प्रतिशत की. ये संशाेधित बाेली स्वीकार की गई.
लेकिन मुनाफे में हिस्सेदारी संताेषजनक न पाते हुए 16 मार्च 2020 काे एमआईएल ने ठेका रद्द करने का फैसला लिया. अदालत के फैसले के बाद फिलहाल यह तय नहीं हाे पाया है कि एमआईएल क्या सुप्रीम काेर्ट का रुख करेगी या ठेका जीएमआर काे ही दिया जाएगा, इस संबंध में जब एमआईएल के वरिष्ठ विमानतल निदेशक आबिद रूही से सवाल किया गया ताे उन्हाेंने कहा कि अदालत के फैसले से कंसल्टेंट काे अवगत करा दिया गया है. सूत्राें की मानें ताे न्यायालय के निर्णय के बाद सलाहकार कंपनी ने अपना काम राेक दिया है.
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व टेंडर डाॅक्यूमेंट तैयार करने के लिए तय की गई कंपनी काे 51 लाख रुपए दिए गए थे. वहीं वर्तमान में काम कर रही सलाहकार कंपनी से इस काम के लिए 74 लाख रुपए में करार किया गया है. एमआईएल अब प्रति यात्री से मिलने वाले राजस्व में भागीदारी के माॅडल पर विमानतल का निजीकरण करना चाहती है लेकिन उसकी इस चाहत पर फिलहाल संकट गहराया हुआ है.