जो बाइडन की जीत पर अमेरिका और भारत की जनता तो खुश है ही, दुनिया के ज्यादातर देश भी खुश होंगे. सबसे ज्यादा खुश चीन होगा, क्योंकि पहले तो ट्रम्प ने अमेरिका के व्यापारिक शोषण के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया और फिर उसे सारी दुनिया में कोविड-19 या कोरोना फैलाने के लिए बदनाम कर दिया.
कोरोना के प्रति लापरवाही दिखाने वाले ट्रम्प खुद कोरोना की चपेट में आ गए. दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था लंगड़ाने लगी. लगभग दो करोड़ लोग बेरोजगार हो गए. बेरोजगारों को अपने पक्ष में करने के लिए ट्रम्प ने बहुत-सा द्राविड़-प्राणायाम किया लेकिन वह भी उनको जिता नहीं पाया.
अब बाइडन के कंधों पर यह बोझ आन पड़ा है कि वे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जान फूंकें. उन्होंने अभी से इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. उनकी सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी कि चुनाव नतीजों के आने पर न तो उन्होंने ट्रम्प के खिलाफ एक भी शब्द बोला और न ही चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ. उन्होंने अपनी गरिमा बनाए रखी लेकिन ट्रम्प का घमंडीपन देखिए कि उन्होंने अपने बयानों से संपूर्ण अमेरिकी लोकतंत्न को ही कलंकित कर दिया.
उनकी अनर्गल प्रलाप करने की आदत को किस-किसने नहीं भुगता है? उन्होंने उत्तर कोरिया के किम, चीन के शी जिनपिंग, भारत के नरेंद्र मोदी, नाटो देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों- किसी को भी नहीं बख्शा. अमेरिकी राजनीति के इतिहास में उनका नाम सबसे घटिया राष्ट्रपतियों में लिखा जाएगा. जब वे नए-नए राष्ट्रपति बने तो उन पर बलात्कार और व्यभिचार के कितने आरोप लगे. उनके मंत्रियों, साथियों और अधिकारियों ने उनसे तंग आकर जितने इस्तीफे दिए, शायद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के काल में इतने इस्तीफे नहीं हुए.
लेकिन अमेरिका भी अजीब देश है, जिसने ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपति बना दिया और चार साल तक उसे अपनी छाती पर सवार रखा. अमेरिकी जनता हिलेरी क्लिंटन की हार की भरपाई तभी करेगी, जब वह 2024 में कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाएगी. मुङो विश्वास है कि बाइडन और कमला मिलकर अगले चार वर्षो में अमेरिकी लोकतंत्न की खोई प्रतिष्ठा का पुनरुद्धार करेंगे.