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ब्लॉग: हत्याओं के लिए खुद जिम्मेदार है पाकिस्तान

By राजेश बादल | Published: April 09, 2024 9:56 AM

25 मार्च को खैबर में पांच चीनी इंजीनियरों की आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी और अगले दिन ही विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने चीनी नागरिकों की एक गाड़ी को टक्कर मार दी थी.

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ठळक मुद्दे25 मार्च को खैबर में पांच चीनी इंजीनियरों की आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी चीनी नागरिकों की रक्षा के लिए चार हजार से अधिक फौजियों की स्पेशल सुरक्षा यूनिट काम कर रही हैयह यूनिट लगभग साढ़े सात हजार चीनियों की सुरक्षा का काम कर रही है

पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने यह कहकर सियासी हलचल पैदा कर दी है कि उनके मुल्क में चीनी नागरिकों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है तो उसके लिए चीन के लोग ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में तैनात चीनी नागरिक कोई सुरक्षा प्रोटोकॉल नहीं मानते. टोकने पर गुस्सा करते हैं और उनकी हिफाजत में लगे अधिकारियों तथा कर्मचारियों का अपमान करते हैं. मरियम की नाराजगी अपनी जगह जायज हो सकती है, क्योंकि 25 मार्च को खैबर में पांच चीनी इंजीनियरों की आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी और अगले दिन ही विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने चीनी नागरिकों की एक गाड़ी को टक्कर मार दी थी. इसके बाद चीन भड़का और घबराए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ चीनी राजदूत को सफाई देने उनके कार्यालय जा पहुंचे थे. 

यह हाल तो तब है, जब दस साल से वहां चीनी नागरिकों की रक्षा के लिए चार हजार से अधिक फौजियों की स्पेशल सुरक्षा यूनिट काम कर रही है. यह यूनिट लगभग साढ़े सात हजार चीनियों की सुरक्षा का काम कर रही है. हमले फिर भी नहीं रुक रहे हैं. बात यहीं समाप्त नहीं होती. अफगानिस्तान शिकायत कर चुका है कि उसके नागरिक पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं. पाकिस्तान अफगानियों को जबरन वापस भेज रहा है. तालिबान सरकार ने तो बीते दिनों स्पष्ट कहा था कि पाकिस्तान अपने सुरक्षा तंत्र की नाकामी के लिए खुद ही जिम्मेदार है. उसे अफगानिस्तान को दोष देने का कोई अधिकार नहीं है. 

दोनों देशों के संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में हैं और वे एक-दूसरे पर मिसाइलों से हमले कर रहे हैं. इसी तरह ईरान भी कमोबेश यही बात कह रहा है. बलूचिस्तान में ईरानियों पर हमले हुए हैं. ईरान और पाकिस्तान उस इलाके में एक दूसरे पर मिसाइलों से हमले कर चुके हैं. लेकिन हालात में सुधार नहीं आया है. सवाल यह है कि पाकिस्तान दुनिया भर में अपनी गिरती साख की रक्षा कैसे करे, क्योंकि पाकिस्तान अपने देश में परदेसी नागरिकों की ही नहीं, अपने मुल्क के बाशिंदों की रक्षा भी नहीं कर पा रहा है. यह सवाल अब वहां के आम नागरिकों को परेशान कर रहा है कि बलूचिस्तान में मतदाता सुरक्षित नहीं हैं. 

पंजाब में लोग सुरक्षित नहीं हैं. सिंध के निवासी मारे जा रहे हैं. अफगानिस्तान सीमा से सटे इलाके में लोग अपने को सुरक्षित नहीं मानते और पाक अधिकृत कश्मीर में भी लोग भयभीत हैं तो फिर इस पड़ोसी राष्ट्र में कौन सुरक्षित है? स्थानीय नागरिकों की स्थिति घर की मुर्गी दाल बराबर जैसी है. मगर चीन तो आज पाकिस्तान का सबसे बड़ा रहनुमा है. यदि उसके नागरिकों को पाकिस्तान की पुलिस और सेना सुरक्षा नहीं दे पा रही है तो उसके लिए कोई दूसरा देश कैसे जिम्मेदार हो सकता है. सबूत के तौर पर यही जानकारी काफी होगी कि जब स्थानीय पुलिस ने चीनी इंजीनियरों की गाड़ी पर आत्मघाती हमलों की रिपोर्ट सरकार को भेजी तो उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चीनी इंजीनियरों का वाहन न तो बम प्रूफ था और न ही बुलेट प्रूफ. यही नहीं, पाकिस्तानी रक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया था.

विडंबना यह है कि किरकिरी से बचने के लिए पाकिस्तान ने अपनी खीझ का ठीकरा भारत के सिर फोड़ना शुरू कर दिया है. बीते दिनों वहां पनाह लिए बैठे करीब 20 मोस्ट वांटेड अपराधियों की हत्या कर दी गई. अब पाकिस्तान कहता है कि उसके अपने नागरिकों की हत्या के पीछे हिंदुस्तान का हाथ है. पाक सरकार का कहना है कि भारत सरकार रॉ के जरिये पाकिस्तान में उसके निशाने पर मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों की हत्याएं करवा रही है. उसने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया है. राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत में यदि आतंकवादी हरकतें नहीं रुकीं तो भारत भी अपनी रक्षा में पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकवादियों को मारने में कोई संकोच नहीं करेगा. याद रखना होगा कि राजनाथ सिंह ने ब्रिटेन के अख़बार द गार्जियन में प्रकाशित एक समाचार पर टिप्पणी की थी. इस समाचार में कहा गया था कि विदेशी धरती में रह कर भारत में खून-खूराबा करने वाले आतंकवादियों के सफाए के लिए भारत सरकार ने नई नीति बनाई है, इसका क्रियान्वयन रॉ करता है, जिसको भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलते हैं.

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान की सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय स्लीपर सेल गरीब पाकिस्तानियों को लाखों रुपए देते हैं और हत्याएं कराते हैं. इसके बाद पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने भी इसी तरह की खबरें प्रकाशित कीं. डॉन ने अपने एक संपादकीय में लिखा कि भारत ने कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों को मारने की नीति को अंजाम देना शुरू किया है.

यहां निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय स्लीपर सेल पर आरोप लगाने से पहले पाकिस्तान को अपने भीतर झांककर देखना चाहिए. असल स्लीपर सेल तो पाकिस्तान के भीतर ही है, जो देश के भीतर लोकतंत्र की हत्या कराता है. वह स्लीपर सेल जो ओसामा बिन लादेन को देश में पालकर रखता है. क्या ऐसे देश को किसी अन्य देश पर आरोप लगाने का कोई नैतिक अधिकार है? जब अमेरिका ने ओसामा को मारा तब पाकिस्तान की हुकूमत ही स्लीपर सेल थी. पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को जिस ढंग से फांसी दी गई, वह कौन सा स्लीपर सेल था ? एक और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को जिस तरह से मारा गया,उसके लिए जिम्मेदार तो पाकिस्तान का स्लीपर सेल ही था. 

एक और प्रधानमंत्री पद के दावेदार शेख मुजीबुर्रहमान को जेल में सड़ा दिया गया और बाद में इस कारण देश के ही दो टुकड़े हो गए, उसके लिए स्लीपर सेल कहां से आया था? इमरान खान इन दिनों जेल में हैं, उसके लिए कौन स्लीपर सेल दोषी है? जाहिर है कि पाकिस्तान के घर में ही स्लीपर सेल छिपे हुए हैं. वे लोकतंत्र के असली दुश्मन हैं.

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