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Diwali 2025: अपने देश से दूर भारतवंशियों की भारत में दिवाली, दीपोत्सव भारत की धरती का पर्व

By विवेक शुक्ला | Updated: October 17, 2025 05:28 IST

Diwali 2025: पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या की हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अवतार सिंह सोहल इस बार दिवाली चंडीगढ़ में मना रहे हैं.

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ठळक मुद्देदक्षिण अफ्रीका के दूतावास में कई भारतवंशी हैं.  इनके पुरखे अधिकतर उत्तर प्रदेश, बिहार या आंध्र प्रदेश से हैं.माना जाता है कि भारत से बाहर सर्वाधिक भारतीय मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में ही हैं. भारतवंशियों और बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के हक में लड़ाई लड़ी.

Diwali 2025: दक्षिण अफ्रीका के आजकल भारत में राजदूत अनिल सूकलाल की व्यस्तता इन दिनों काफी बढ़ गई है. भारतवंशी अनिलजी अपने देश के साउथ दिल्ली के वसंत विहार स्थित दफ्तर में दिवाली की तैयारियों पर भी नजर रख रहे हैं. उनके दफ्तर में गांधीजी और नेल्सन मंडेला की फोटो लगी हैं. अनिलजी के पुरखे मूल रूप से पूर्वी उत्तरप्रदेश से थे.  वे कहते हैं कि उनका भारत में दिवाली पर्व को मनाने का सपना पूरा हो रहा है. दक्षिण अफ्रीका के दूतावास में कई भारतवंशी हैं.  इनके पुरखे अधिकतर उत्तर प्रदेश, बिहार या आंध्र प्रदेश से हैं.

माना जाता है कि भारत से बाहर सर्वाधिक भारतीय मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में ही हैं. दोनों देशों में इनका आंकड़ा 18-20 लाख के आसपास है. दक्षिण अफ्रीका से भारत इसलिए भी अपने को भावनात्मक रूप से जोड़कर देखता है, क्योंकि वहां लगभग 21 वर्षों तक गांधीजी रहे. वहां रहकर उन्होंने भारतवंशियों और बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के हक में लड़ाई लड़ी.

दीपोत्सव भारत की धरती का पर्व है. यहां से भारतीय संसार के कोने-कोने में जाकर बसे, पर दिवाली उनके साथ रही. अगर उन्हें प्रकाश पर्व अपने पुरखों के देश में मनाने का अवसर मिले तो उनकी खुशी कई गुना बढ़ जाती है. पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या की हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अवतार सिंह सोहल इस बार दिवाली चंडीगढ़ में मना रहे हैं.

उनके पुरखे 1920 में पंजाब के जालंधर शहर से केन्या जाकर बस गए थे. पूर्वी अफ्रीकी देशों जैसे केन्या, युगांडा और तंजानिया में बसे सभी भारतवंशियों के लिए साझा उत्सव बन चुका है दिवाली का पर्व. इसने धार्मिक सीमाओं को लांघ लिया है. पूर्वी अफ्रीकी देशों में भारतीय 1896 से लेकर 1920 तक रेलवे का नेटवर्क स्थापित करने के लिए गए थे.

भारत और मॉरीशस के संबंधों का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है. मॉरीशस के नई दिल्ली स्थित दूतावास में दिवाली की गहमा-गहमा कई दिन पहले शुरू हो जाती है.  यह उत्सव हिंदू के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी मनाते हैं, जो मॉरीशस की विविधता का प्रमाण है. मॉरीशस के साथ-साथ सूरीनाम, कैरेबियाई द्वीप देश त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और फिजी को ‘लघु भारत’ कहा जा सकता है.

इन सब देशों  के राजधानी में रहने वाले राजनयिक हर साल दिवाली मनाते हैं. गुयाना में बीते कुछ हफ्ते पहले भारतवंशी इरफान अली देश के प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए हैं. गुयाना में दिवाली पांच दिनों तक मनाई जाती है. राजधानी के वसंत विहार में स्थित दूतावास को दिवाली से कुछ दिन पहले ही रोशन कर दिया जाता है.

यहां जब भारतवंशी राजदूत होते हैं, तब दिवाली का आयोजन भव्य तरीके से होता है. दीपोत्सव पर सूरीनाम दूतावास दीयों और रंगोली से सजता है. सूरीनाम में कुछ माह पहले तक भोजपुरी भाषी चंद्रिकाप्रसाद संतोखी देश के राष्ट्रपति थे.

यहां सूरीनाम के नई दिल्ली स्थित दूतावास में संतोखी के सत्तासीन होने के बाद से दिवाली धूमधाम से मनाई जाने लगी. इनके अलावा फिजी, सिंगापुर, मलेशिया, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के दूतावासों में कुछ भारतवंशी राजनयिक हमेशा तैनात होते हैं. इसलिए वे भी यहां दिवाली प्रेम और उत्साह से मनाते हैं.  आखिर यह उनकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है.

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