जेजे ईरानी एक अरसा पहले टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर पद से मुक्त होने के बाद खबरों की दुनिया से कमोबेश गायब से थे. पर उनके हाल ही में हुए निधन के बाद उन्हें जिस तरह से याद किया जा रहा है, उससे साफ है कि वे असाधारण कॉर्पोरेट हस्ती थे. ‘स्टीलमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर जेजे ईरानी को झारखंड, बिहार और स्टील की दुनिया से जुड़े हर शख्स का खास सम्मान मिलता रहा.
पुणे में जन्मे जेजे ईरानी ने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जमशेदपुर में गुजारा. एक इंटरव्यू में अपनी इच्छा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा था कि जिस शहर में पूरी जिंदगी काम किया, आखिरी सांस भी उसी शहर में लेना चाहते हैं. ईश्वर ने उनकी यह इच्छा पूरी की.
जेजे ईरानी में नेतृत्व के भरपूर गुण थे. उन्होंने भारत के कॉर्पोरेट जगत में नवोन्मेष और उत्कृष्टता की संस्कृति को संस्थागत स्वरूप दिया, इस मसले पर विवाद नहीं हो सकता. वे अपने मैनेजरों को हमेशा कुछ हटकर करने के लिए प्रेरित करते थे. वे सदैव अपने अफसरों के साथ खड़े रहते थे.
जेजे ईरानी उनकी असफलता में साथ नहीं छोड़ते थे. इसलिए उनके मैनेजर बेहतरीन नतीजे देते थे. उनमें जेआरडी टाटा का अक्स देखा जा सकता था. दोनों की शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के प्रति सोच एक सी थी. जेजे ईरानी का जीवन बेदाग रहा है. वे अपनी कंपनी को नई दिशा देते हुए कल्याणकारी योजनाओं के लिए मोटी राशि दान में देते रहे. वे टाटा स्टील से मुलाजिमों को बाहर निकालने के पक्ष में कभी नहीं रहे.
जेजे ईरानी का कॉर्पोरेट व्यक्तित्व विराट था. उनका भारत के स्टील इंडस्ट्री के विकास में योगदान उल्लेखनीय रहा है. उन्होंने लगभग चार दशकों तक कंपनी में अपनी सेवा दी थीं और जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से रिटायर हुए थे.