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badlapur Sexual Case: इंतजाम दुरुस्त करने के लिए हादसे का इंतजार क्यों?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 23, 2024 11:35 IST

badlapur Sexual Case:  अपने बच्चों को स्कूल के लिए भेजते वक्त हर माता-पिता की आंखों में बच्चे के सुनहरे भविष्य का सपना होता है.

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ठळक मुद्देबच्चा एक ऐसी जगह जा रहा है जहां उसे घर की तरह सुरक्षा मिलेगी.स्कूल की चारदीवारी के अंदर बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल पर होता है.प्रत्येक छात्र स्कूल परिसर के अंदर और स्कूल आते-जाते समय सुरक्षित रहे.

badlapur Sexual Case: ठाणे जिले के बदलापुर कांड के बाद राज्य सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं. प्रदेश के सभी स्कूलों में छात्र और छात्राओं के लिए सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने का एक सरकारी निर्णय जारी किया गया है. इसके तहत हर स्कूल में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि निजी स्कूलों के एक माह के भीतर सीसीटीवी लगाने होंगे. सरकारी और अनुदानित स्कूलों को इस कार्य के लिए जिला योजना एवं विकास समिति से राशि दी जाएगी. प्रश्न यह है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा जैसे अति संवेदनशील मामले में भी सरकार को क्यों हस्तक्षेप करना पड़ रहा है, जबकि यह जिम्मेदारी स्कूलों की है. दूसरी बात, हम किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही क्यों चेतते हैं?

अपने बच्चों को स्कूल के लिए भेजते वक्त हर माता-पिता की आंखों में बच्चे के सुनहरे भविष्य का सपना होता है. बच्चे को स्कूल की बस पर चढ़ाते वक्त या स्कूल के गेट पर अपने बच्चे को छोड़ते वक्त उन्हें इस बात का भरोसा होता है कि उनका बच्चा एक ऐसी जगह जा रहा है जहां उसे घर की तरह सुरक्षा मिलेगी.

स्कूल की चारदीवारी के अंदर बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल पर होता है. स्कूल सुरक्षा के मामले में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रत्येक छात्र स्कूल परिसर के अंदर और स्कूल आते-जाते समय सुरक्षित रहे. स्कूल की इमारतों, परिसर, खेल के मैदानों, प्रयोगशालाओं, स्वीमिंग पूल, कम्प्यूटर कक्ष, पुस्तकालयों, शौचालयों, स्कूल बसों और आसपास का वातावरण सुरक्षित होना ही चाहिए.

स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने से यह सुनिश्चित होता है कि स्कूल में बच्चे के दैनिक जीवन पर लगातार नजर रखी जा रही है और उसे रिकॉर्ड किया जा रहा है. इससे बच्चों के साथ होने वाले किसी भी तरह के दुर्व्यवहार पर लगातार नजर रखी जा सकती है. जब बच्चा स्कूल में होता है तो स्कूल का बच्चे पर नियंत्रण होता है.

स्कूल बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो शिक्षा प्रदान करने से कहीं आगे तक जाती है. स्कूल ऐसी जगहें हैं जहां बच्चे अपना काफी समय बिताते हैं. इसलिए बच्चों की हर तरह से सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्कूलों पर आती है. बच्चों की सुरक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य और सामूहिक जिम्मेदारी है.

हमें बच्चों की सुरक्षा करने और ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा, जहां हर बच्चा फल-फूल सके और अपनी पूरी क्षमता तक प्रगति कर सके. बच्चों को आत्मविश्वासी और सक्षम व्यक्ति बनने के लिए शारीरिक और भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करना बहुत जरूरी है. अभिभावकों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों को भी बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

अभिभावकों को चाहिए कि बच्चे के स्कूल से आने के बाद उससे खुलकर बात करें और स्कूल में सुरक्षा व्यवस्था का भी समय-समय पर जायजा लेते रहें. वहीं सरकारी अधिकारियों को स्कूल में सुरक्षा व्यवस्थाओं का कड़ाई से पालन करवाना चाहिए. स्कूलों में सीसीटीवी लगवाना ही काफी नहीं होगा, बल्कि इनकी नियमित मॉनिटरिंग भी होनी चाहिए. बच्चों की सुरक्षा एक अहम मुद्दा है और स्कूलों को सुरक्षा इंतजाम दुरुस्त करने के लिए किसी घटना के होने का इंतजार नहीं करना चाहिए.

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