Cyber crime: देश के समक्ष साइबर अपराध की चुनौती और इस पर अंकुश लगाने के लिए कुशल और सक्षम तंत्र की अहम जरूरत है. लेकिन डाटा सुरक्षा कानून संसद से पारित होने के बावजूद इससे जुड़े नियम लागू न होने की वजह से जनता का निजी और गोपनीय डाटा कौड़ियों में नीलाम हो रहा है. इसीलिए डाटा सुरक्षा के नियमों को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए और साथ ही डाटा बिक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए, जिससे साइबर अपराधों में भारी कमी आ सकती है. केंद्र सरकार के नए आदेश के अनुसार सरकारी कर्मचारियों को सोशल मीडिया वेबसाइटों या अन्य वेबसाइटों पर अपना सरकारी ई-मेल इस्तेमाल न करते हुए केवल सरकारी कामकाज के लिए ही ‘एनआईसी’ की ई-मेल का इस्तेमाल करने की कोशिश करनी चाहिए.
इन्हीं जैसे तरीकों से ही डाटा सुरक्षा से जुड़े कानून के नियमों को लागू करने की जरूरत है. डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए फर्जी तरीके से सिम कार्ड लेने के साथ फर्जी बैंक खाते खोले जाते हैं. जिन लोगों को ठगी का शिकार बनाया जाता है, उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड सहित कई अन्य डाटा गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किए जाते हैं.
उनके खाते से पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं. कई बार क्रिप्टो या गेमिंग एप्प के माध्यम से हवाला के जरिए पैसे को बाहर भेजा जाता है. पुलिस के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ठगी गिरोह के सिम कार्ड पर जो एड्रेस पाया जाता है, वह उनके बैंक अकाउंट के एड्रेस से मेल नहीं करता है. साथ ही ठगी करने वालों की लोकेशन कुछ और ही पाई जाती है.
गौरतलब है कि भारत में कॉल सेंटर के माध्यम से इस संगठित अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. अधिकांश मामलों में सरकारी खाते बताकर जिन खातों में पैसे ट्रांसफर कराए गए वे आम लोगों के बैंक खाते हैं. जहां से पैसा दूसरे खातों में चला जाता है. इससे बचने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपके अकाउंट के साथ किसी तरह की संदिग्ध गतिविधि तो नहीं हो रही है.
अगर आपको लगता है कि आपका डाटा लीक हो गया तो ऐसी सेवाओं की मदद ले सकते हैं जो किसी भी ट्रांजेक्शन पर अलर्ट भेजती है. अपनी संवेदनशील डिजिटल इनफार्मेशन के लिए ‘टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन’ का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही फोन पर किसी से अपनी संवेदनशील जानकारियां जैसे अपना आधार नंबर, बैंक डिटेल या पासवर्ड साझा करने में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि सरकारी विभाग का कर्मचारी या अधिकारी या कंपनियां कभी भी ऐसी गोपनीय जानकारियां आम नागरिकों से फोन के जरिये नहीं पूछते हैं.