विश्वनाथ सचदेव लेखक, वरिष्ठ स्तम्भकार और नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक हैं। इनका जन्म 2 फ़रवरी, 1942 को साहीवाल में हुआ था। यह क्षेत्र अब पाकिस्तान का हिस्सा है। इन्होंने एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) तक की पढ़ाई राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से की थी। बी.जे. की डिग्री इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। 1962 में बीकानेर (राजस्थान) से प्रकाशित होनेवाली साहित्यिक पत्रिका `वातायन' के सम्पादन से पत्रकारिता की शुरुआत हुई थी। राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखना भी प्रारम्भ हो गया था। शुरुआत शौक से हुई थी, अंतत: पत्रकारिता आजीविका भी बन गयी। वर्ष 1967 में `टाइम्स ऑ़फ इंडिया' प्रकाशन समूह से जुड़ा. 1987 से `नवभारत टाइम्स' मुंबई, का सम्पादन। 2003 में सेवा-निवृत्ति। इस बीच वर्ष 1991 से 1995 तक `धर्मयुग' का भी सम्पादन। 2005 से `नवनीत' मासिक का सम्पादन।Read More
भारतीय जनता पार्टी की सरकार और पार्टी, दोनों को आपत्ति यह है कि राहुल गांधी ने विदेश में जाकर जिस तरह से आलोचना की, वह देश के साथ गद्दारी है. कांग्रेस ने हालांकि पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार की आलोचना देश के साथ गद्दारी नहीं है. ...
भारत के आर्थिक शक्ति बनने की बात कहने वाली संस्था और भारत की जनता की भूख के आंकड़े देने वाली संस्था, दोनों विश्व की भरोसेमंद संस्थाएं मानी जाती हैं। हमें ऐसी घोषणाएं करने वालों की नीयत पर शक करने के बजाय इन घोषणाओं से कुछ सीखने की आवश्यकता है। ...
यह एकजुट होने वाली स्थिति भी देश में पहली बार नहीं बनी है। कभी कांग्रेस से मुकाबले के लिए राजनीतिक दल इस तरह की रणनीतियां बनाया करते थे, आज कांग्रेस आह्वान कर रही है कि विरोधी-पार्टियां मिल कर भाजपा को हराने की कोशिश करें। ...
मेरे जैसे लोग अक्सर इस गीत को गुनगुनाते रहते थे, अब भी अवसर आने पर दुहराते हैं। इस गीत में मनुष्य की एकता और समानता का एक संदेश है जो आज मनुष्य मात्र की आवश्यकता है। ...
राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में ‘जोड़ने’ की अपनी परिकल्पना को स्पष्ट करने की लगातार कोशिश करते दिखे हैं. यह भी कहना ठीक होगा कि बहुत हद तक राहुल अपने इस प्रयास में सफल भी हुए हैं. ...
आपको बता दें कि राज्यपालों और सरकारों का टकराव दशकों से देश देखता रहा है। खासतौर पर जब मामला ऐसे राज्यों का हो जहां केंद्र में सत्तारूढ़ दल के विरोधी दलों का शासन हो, इस तरह का टकराव अक्सर देखा जा रहा है। इस व्यवहार को, और इस स्थिति को, उचित नहीं कहा ...
आपको बता दें कि आम चुनाव अभी कुछ दूर हैं, पर नौ राज्यों में चुनाव बहुत दूर नहीं हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का मुकाबला भाजपा कैसे करेगी। ...
यह इक्कीसवीं सदी के भारत के एक गांव की तस्वीर है। यह उसी तमिलनाडु की घटना है जहां एक सदी पहले पेरियार ने मनुष्य की गरिमा का सवाल उठाया था और कहा था कि वह हर व्यक्ति के मनुष्य होने पर गर्व करने का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ...