ब्लॉग: राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए कितनी सफल साबित रही भारत जोड़ो यात्रा?

By विश्वनाथ सचदेव | Published: February 2, 2023 02:25 PM2023-02-02T14:25:32+5:302023-02-02T14:26:15+5:30

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में ‘जोड़ने’ की अपनी परिकल्पना को स्पष्ट करने की लगातार कोशिश करते दिखे हैं. यह भी कहना ठीक होगा कि बहुत हद तक राहुल अपने इस प्रयास में सफल भी हुए हैं.

How successful was Bharat Jodo Yatra for Rahul Gandhi and Congress | ब्लॉग: राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए कितनी सफल साबित रही भारत जोड़ो यात्रा?

कांग्रेस के लिए कितनी सफल साबित हुई भारत जोड़ो यात्रा? (फोटो- ट्विटर)

कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की एक यात्रा पूरी हो चुकी है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की लगभग पांच माह की इस यात्रा को भारत जोड़ो यात्रा नाम दिया गया था. अपने इस उद्देश्य में यात्रा कितनी सफल हुई है, यह आकलन तो आने वाला समय ही करेगा, पर इसमें कोई संदेह नहीं कि स्वयं राहुल गांधी की छवि में इस यात्रा से निखार के कई आयाम जुड़ गए हैं. 

पिछले आठ-दस साल में राहुल गांधी को एक अनिच्छुक और अपरिपक्व राजनेता के रूप में देखने-दिखाने की कोशिशों को कई-कई रूपों में देखा गया है. लेकिन इस यात्रा ने निश्चित रूप से उन्हें एक सक्षम और अपने उद्देश्य के प्रति उत्साह-भाव वाले व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया है. 

इस यात्रा का क्या राजनीतिक लाभ हो सकता है, यह अभी सिर्फ अनुमान का विषय ही है, पर अपने आप में यह कोई छोटी सफलता नहीं है कि देश को जोड़ने की अपनी कल्पना को राहुल गांधी जन-मानस तक पहुंचाने में काफी हद तक सफल रहे हैं.

यह सही है कि इस यात्रा की शुरूआत से ही कांग्रेस पार्टी यह कहती रही है कि यात्रा किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं आयोजित की गई. यात्रा का घोषित उद्देश्य भारत जोड़ना रहा है. हालांकि जोड़ने वाली इस बात को लेकर कांग्रेस पार्टी के विरोधी अक्सर उपहास के स्वर में यह कहते रहे हैं कि भारत टूटा ही कहां है जिसे जोड़ने की बात कही जा रही है. 

बहरहाल, राहुल अपनी इस यात्रा में ‘जोड़ने’ की अपनी परिकल्पना को स्पष्ट करने की लगातार कोशिश करते दिखे हैं. और बहुत हद तक सफल भी हुए हैं अपने इस प्रयास में. यह सही है कि देश को जोड़ने का सीधा-सा मतलब देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना ही होता है. इस दृष्टि से देखें तो हमारी सेनाएं पूर्णतया सक्षम हैं. लेकिन समझने की बात यह है कि देश भीतर से भी दरक सकता है. 

स्वाधीन भारत का 75 साल का इतिहास हमारी उपलब्धियों का लेखा-जोखा तो है ही, इसमें ढेरों ऐसे संकेत भी छिपे हैं जो यह बता रहे हैं कि भीतर ही भीतर हम कहां-कहां दरक रहे हैं.

कन्याकुमारी से कश्मीर तक की अपनी यात्रा को राहुल ने भले ही राजनीतिक दृष्टि से गैरराजनीतिक यात्रा कहा हो, पर हकीकत यह है कि आज देश को ऐसी राजनीति की आवश्यकता है जो सिर्फ सत्ता के लिए न हो. महात्मा गांधी ने सेवा के लिए सत्ता की शिक्षा दी थी. आज उस शिक्षा के महत्व को समझने की आवश्यकता है. सत्ता की राजनीति देश को बांट रही है. इस बंटवारे को जोड़ना है - तभी भारत जुड़ेगा.

Web Title: How successful was Bharat Jodo Yatra for Rahul Gandhi and Congress

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