मनीला: फिलीपीन के दक्षिणी प्रांत स्थित मैग्विनडानाओ के कुसियोंग गांव के ग्रामीणों में तुफान को लेकर हुई गफलत में दर्जनों लोगों की जान चली गई है। जानकारी के मुताबिक कुसियोंग के ग्रामीण आने वाले तुफान को भ्रमवश सुनामी समझ बैठे, जिसके कारण वे भय से जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़कर एक ऊंची जगह की ओर दौड़ पड़े लेकिन वहां वो कीचड़ भरे तुफान में फंस गये और उनकी मौत हो गई।
इस संबंध में एक अधिकारी ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि गांववालों को यह गलतफहमी इसलिए हुई क्योंकि कुसियोंग इससे पहले भी विनाशकारी सुनामी का सामना कर चुका है। जबकि वो तुफान सुनामी न होकर नालगे था। उत्तर-पश्चिमी तट पर भारी तबाही मचाने वाला नालगे तुफान के कारण सबसे अधिक प्रभावित दक्षिणी प्रांत मैग्विनडानाओ के कुसियोंग गांव में दूर-दूर तक कीचड़ का भारी अंबार लगा हुआ था।
तुफान नालगे के थमने के बाद गांव में बचावकर्ता पहुंचे तो उन्होंने कीचड़ के पहाड़ से कम से कम 20 शवों को बाहर निकाला। जिनमें कुछ बच्चों के भी शव शामिल हैं। इस संबंध में गृह मंत्री नजीब सिनारिंबो ने कहा, अधिकारियों को गुरुवार की देर रात कुसियोंग गांव में 80 से 100 लोगों के कीचड़ में दफन होने या बाढ़ के पानी में बहने की सूचना मिली थी।
खबरों के मुताबिक ‘नालगे’ तुफान के दौरान फिलीपीन में भारी बारिश हुई, जिसके कारण कम से कम 73 लोगों की मौत हो गई। जान गंवाने वालों में कुसियोंग गांव के लोग भी शामिल हैं। साथ ही यह तूफान आपदा के लिहाज से सबसे संवेदनशील देशों में शुमार फिलीपीन में भारी तबाही का मंजर छोड़ गया।
इसके अलावा सरकार की ओर से कहा गया है कि ‘टेडुरे’ जातीय अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले कुसियोंग गांव के लिए यह तुफान तो और भी भारी आपदा लेकर आया है। वैसे लगभग हर साल 2,000 से अधिक लोगों का यह गांव 'सुनामी' से बचने के लिए आपदा प्रबंधन की तैयारियां करता है क्योंकि सुनामी के कारण इस गांव ने भारी तबाही का सामना किया था।
मंत्री सिनारिंबो ने कहा कि गांव वाले मिनंदर पहाड़ से नागले तुफान के खतरे को भांप नहीं पाए। उन्होंने कुसियोंग में रहने वाले लोगों के हवाले से बताया, “जब लोगों ने चेतावनी घंटी आवाज सुनी तो वे बदहवास भागने लगे और एक ऊंची जगह पर स्थित गिरजाघर में जमा हो गए। लेकिन यह तुफान 'सुनामी' नहीं था, जो उन्हें डुबो देता बल्कि यह तो अपने साथ पानी और कीचड़ का बड़ा सैलाब लाया था।
सिनारिंबो ने कहा कि इसी गलतफहमी के कारण गांव के दर्जनों लोगों की जान चली गई। कुसियोंग गांव मोरो की खाड़ी और मिनंदर पर्वत के बीच में पड़ता है। अगस्त 1976 में मोरो खाड़ी और इसके आसपास 8.1 तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी ने भारी तबाही मचाई थी, जिसके चलते हजारों लोगों की मौत हो गई थी।