ब्लॉग: गाजा पट्टी में तत्काल युद्धविराम की जरूरत
By ललित गर्ग | Published: March 30, 2024 12:39 PM2024-03-30T12:39:42+5:302024-03-30T12:40:28+5:30
किसी भी देश में यह भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए कि भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। भारत ने उचित ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह भी बता दिया है कि वह सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है और उनसे बातचीत की मेज पर लौटने का आग्रह कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को, गाजा पट्टी में युद्ध और मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के लिए, तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने और तमाम बंधकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई की मांग करने वाला एक नया प्रस्ताव पारित कर दिया है। यह प्रस्ताव 11 मार्च को शुरू हुए रमजान के महीने की करुण एवं मानवीय पुकार है।
साथ ही इजराइल पर हमलों के दौरान बंधक बनाए लोगों में से शेष 130 लोगों को रिहा किए जाने की मांग है। हमास एवं इजराइल के बीच चल रहे युद्ध को विराम देकर शांति का उजाला करने, अभय का वातावरण, शुभ की कामना और मंगल का फैलाव करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दृढ़ता से शांति प्रयास एवं युद्ध विराम को लागू करना ही चाहिए।
मनुष्य के भयभीत मन को युद्ध की विभीषिका से मुक्ति देनी चाहिए। गाजा में विशाल स्तर पर उपजी आवश्यकताओं और जरूरतमंद आबादी तक मानवीय सहायता पहुंचाए जाने की भी जरूरत है, क्योंकि वहां के लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं।
छह महीने से जारी इस भयंकर जंग के दौरान यह पहला मौका है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्धविराम का प्रस्ताव पारित किया है। यह इसलिए संभव हुआ कि अमेरिका ने इसे वीटो करने से परहेज किया। निश्चित रूप से सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव विश्व जनमत से उपजे दबाव की अभिव्यक्ति है।
बड़े शक्तिसंपन्न राष्ट्रों को इस युद्धविराम के प्रस्ताव को बल देना चाहिए और इसे लागू करने के प्रयास करने चाहिए। पिछले सात अक्तूबर को हमास की ओर से किए गए आतंकी हमले के खिलाफ जब इजराइल ने कार्रवाई की बात कही तो अमेरिका और भारत समेत तमाम देशों की सहानुभूति उसके साथ थी। लेकिन इजराइल ने जिस तरह से गाजा में हवाई हमले शुरू किए और वहां से आम लोगों के हताहत होने की खबरें आने लगीं, उसके बाद यह आवाज तेज होती गई कि इजराइल को अपने अभियान का स्वरूप बदलना चाहिए।
अब तक गाजा में करीब 32 हजार लोगों के मारे जाने की खबरें हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। भारत हमेशा युद्ध-विरोधी रहा है, युद्धविराम की उसकी कोशिशें निरंतर चलती रही है। किसी भी देश में यह भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए कि भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। भारत ने उचित ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह भी बता दिया है कि वह सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है और उनसे बातचीत की मेज पर लौटने का आग्रह कर रहा है।
नि:संदेह भारत को मानवता के पक्ष में शांति, युद्ध-विराम और राहत के प्रयासों में जुटे रहना चाहिए। भारत के ऐसे प्रयासों का ही परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्धविराम का ऐसा प्रस्ताव पारित किया है।