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रॉकेट हमलों के जवाब में इजराइल ने गाजा में हमास के ठिकानों को निशाना बनाया

By भाषा | Updated: September 13, 2021 20:02 IST

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यरूशलम, 13 सितंबर (एपी) फलस्तीन के हमास शासित क्षेत्र से सिलसिलेवार ढंग से किए गए रॉकेट हमलों के जवाब में सोमवार को इजराइल के लड़ाकू विमानों ने गाजा पट्टी पर कई ठिकानों पर हमले किए। यह लड़ाई लगातार तीन दिन से जारी है।

यह हिंसा इजराइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के मिस्र रवाना होने से पहले भड़की। उनकी यात्रा गत मई में 11 दिन तक चले युद्ध के मद्देनजर इजराइल और हमास के बीच दीर्घकालिक युद्धविराम के लिए मिस्र के मध्यस्थता प्रयासों पर केंद्रित थी। लेकिन हाल के सप्ताहों में शांति स्थापित करने के प्रयास बाधित हुए हैं।

गत सप्ताह इजराइल की एक जेल से छह फलस्तीनी कैदियों के भागने के बाद से तनाव बढ़ गया है जिनमें से चार को इजराइल ने फिर से पकड़ लिया है।

इजराइली सेना के अनुसार, हमास ने रविवार और सोमवार को रॉकेट से तीन अलग-अलग हमले किए जिनमें से कम से कम दो को नाकाम कर दिया गया। सेना ने बताया कि इसके जवाब में इजराइल ने हमास के ठिकानों को अपना निशाना बनाया। हालांकि, किसी भी पक्ष की ओर से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

हिंसा की एक अन्य घटना में एक हमलावर ने एक इजराइली सैनिक को चाकू घोंपने की कोशिश की। इजराइल की सेना ने कहा कि सैनिक ने हमलावर को गोली मार दी जिसे अस्पताल ले जाया गया। इस बारे में तत्काल और कोई जानकारी नहीं मिली है।

इस बीच, इजराइल पुलिस ने कहा कि 17 साल के एक फलस्तीनी लड़के ने दो लोगों को चाकू घोंपकर घायल कर दिया। हमलावर को एक अधिकारी ने गोली मार दी।

वहीं, इजराइल के विदेश मंत्री याईर लपिद ने रविवार को कहा था कि हमास के साथ युद्ध को खत्म करने के लिए कोई नया तरीका अपनाया जाना चाहिए।

लपिद ने गाजा में निवेश करने की एक अंतरराष्ट्रीय योजना का खुलासा किया जिसके बदले में हमास पर दबाव डालकर उसके सैन्य कार्यक्रम को रोकने को कहा जा सकता है।

लपिद ने तेल अवीव के उत्तर में स्थित रीखमान विश्वविद्यालय में अपने भाषण में कहा, ‘‘अब तक इजराइल की नीति से स्थिति बहुत हद तक बदली नहीं है। हमें कोई नया तरीका अपनाना होगा।’’ उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को अमेरिका और अन्य देशों से साथ बातचीत करने के बाद तैयार किया गया है।

लपिद ने कहा कि इसे पहले भी पेश किया गया था लेकिन युद्ध के हालात, विश्वास की कमी और दोनों पक्षों में आंतरिक विभाजन के चलते यह लागू नहीं हो सका। इजराइल के प्रधानमंत्री ने इस प्रस्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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