लाइव न्यूज़ :

जासूसी में अमेरिका पर भारी पड़ रहा है चीन, शी जिनपिंग के सुरक्षाकवच को भेदने में नाकाम CIA

By विशाल कुमार | Published: November 11, 2021 3:24 PM

अमेरिका की बेहद संवेदनशील खुफिया रिपोर्ट की समीक्षा करने वाले मौजूदा और पूर्व अधिकारियों का कहना है कि जहां हांगकांग से लेकर ताइवान तक कई मुद्दों पर अमेरिका और चीन के बीच तनातनी सामने आ रही है, वहीं बेहद सटीक खुफिया जानकारी के बिना राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन शी के अगले कदम का पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहा है.

Open in App
ठळक मुद्देजो बाइडन का प्रशासन शी के अगले कदम का पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहा है.पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने माना हमारी मानवीय खुफिया क्षमता दशकों पीछे चली गई.एक दशक में चीन ने करीब एक दर्जन अमेरिकी जासूसों को मौत के घाट उतार दिया.

नई दिल्ली: अमेरिका की बेहद संवेदनशील खुफिया रिपोर्ट की समीक्षा करने वाले मौजूदा और पूर्व अधिकारियों का कहना है कि जहां हांगकांग से लेकर ताइवान तक कई मुद्दों पर अमेरिका और चीन के बीच तनातनी सामने आ रही है, वहीं बेहद सटीक खुफिया जानकारी के बिना राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन शी के अगले कदम का पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहा है. ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है.

वहीं दूसरी तरफ एक दशक से अधिक समय तक सत्ता में रह चुके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पांच और साल तक सत्ता में बने रहने की तैयारियों में जुटे हुए हैं.

मौजूदा और पूर्व दोनों ही अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां लंबे समय से चीन को लेकर सरकार की मांगों को पूरा नहीं कर पा रही हैं. ऐसा शी के राष्ट्रपति बनने से पहले से ही है.

इन महत्वपूर्ण मौकों पर नाकाम रहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियां

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां जिन बेहद महत्वपूर्ण मौकों पर जिन के आगामी कदमों का अनुमान लगा पाने में बुरी तरह विफल रहीं उनमें हांगकांग पर चीन का पूर्ण नियंत्रण, दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र में सैन्य बल, अमेरिका में चीनी कंपनियों का प्रवेश और हैकिंग शामिल हैं. इसके साथ ही अमेरिका कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर भी चीन की भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं ढूंढ सका.

सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि क्या चीन ताइवान पर पूरी तरह से कब्जा कर लेगा या फिर ताइवान के किसी छोटे द्वीप को अपने हिस्से में लेगा.

चीन मिशन सेंटर की घोषणा

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन का कहना है कि हमारी मानवीय खुफिया क्षमता दशकों पीछे चली गई है. इसके साथ ही वे घरेलू और मध्य पूर्व देशों की राजनीति में कहीं अधिक शामिल हैं.

यही कारण है कि अपनी विदेश नीति मुख्य रूप से चीन के लिए तैयार करने के लिए पिछले महीने अमेरिकी खुफिया एजेंसी निदेश बिल बर्न्स ने चीन मिशन सेंटर शुरू करने की घोषणा की थी.

हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सीआईए मिशन सेंटर के निर्माण को शीत युद्ध की मानसिकता करार दिया था.

एक दशक में दर्जनों जासूसों को उतारा मौत के घाट

न्यूयॉर्क टाइम्स की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में चीन ने करीब एक दर्जन अमेरिकी जासूसों को मौत के घाट उतार दिया जबकि बाकी को जेल में डाल दिया या गायब कर दिया. इसने अमेरिकी खुफिया ऑपरेशन को अब तक का सबसे बुरी तरह प्रभावित किया.

सामूहिक नेतृत्व वाली नहीं रह गई चीन की घरेलू राजनीति

शी का खुफिया घेरा तोड़ पाने में अमेरिका खुफिया एजेंसियां इसलिए भी नाकाम साबित हो रही हैं क्योंकि शी ने चीन की घरेलू राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया है.

चीन में अब पूर्व राष्ट्रपतियों जियांग जेमिन और हु जिंताओं की तरह सामूहिक नेतृत्व की जगह पर एकमात्र शी का पता लगाना है. पहले जहां सीआईए सात या नौ नेताओं के समूह में घुस सकता था तो वहीं अब एकमात्र नेता शी जिनपिंग के घेरे का तोड़ना है.

भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में किया सिस्टम का 'सफाया'

वहीं, शी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक पैमाने जो अभियान चलाया उसमें न सिर्फ करीब 1.5 लाख लोगों को सजा दी गई बल्कि इस दौरान चीनी अधिकारियों की आय आदि की गहनता से जांच की गई.

चीन में अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों का जाल

चीन में सीआईए अधिकारियों को इसलिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि चीन पूरी तरह से अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों से घिर गया है जिसमें खतरा का पता लगाने के लिए निगरानी कैमरे और चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर तैनात किए गए हैं.

चीनी भाषा बोलने वाले जासूसों की कमी

तमाम तरह की दिक्कतों के साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की चीन की मंदारिन भाषा बोलने वाले जासूसों की कमी जैसी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. यही कारण है वे चीन में प्रभावी तरीके से जासूसी को अंदाज नहीं दे पा रहे हैं.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि सीआईए का ऐसी चुनौतियों से सामना नहीं होता है. सीआईए अलकायदा के आतंकियों और उत्तर कोरिया में किम-जोंग-उन के शासन में सेंध लगाने में कामयाब रही है.

टॅग्स :चीनशी जिनपिंगUSसीआईजो बाइडन
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वLok Sabha Elections 2024: 96 करोड़ 90 लाख लोग वोट देंगे, दुनिया को भारतीय लोकतंत्र से सीखना चाहिए, व्हाइट हाउस सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने तारीफ में बांधे पुल

विश्वपरमाणु युद्ध हुआ तो दुनिया में सिर्फ दो देशों में ही जीवन बचेगा, लगभग 5 अरब लोग मारे जाएंगे, होंगे ये भयावह प्रभाव, शोध में आया सामने

कारोबारIndia-China Foreign Investment: भारत को बंपर फायदा, चीन में विदेशी निवेश कम, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ ने कहा- भारत में निवेश कर रही पश्चिमी कंपनी, आखिर क्या है पीछे की वजह!

भारतPoK पर नियंत्रण खोना, 'गलती' या 'कमजोरी', विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कांग्रेस पार्टी पर बोला हमला

विश्वRussia-Ukraine war: रूसी सेना ने 10 अमेरिकी मिसाइलों को मार गिराया, खारकीव में फिर खोला मोर्चा, पीछे हट रही है यूक्रेनी फौज

विश्व अधिक खबरें

विश्वमिलिए भारतीय पायलट कैप्टन गोपीचंद थोटाकुरा से, जो 19 मई को अंतरिक्ष के लिए भरेंगे उड़ान

विश्वIsrael–Hamas war: शनि लौक का शव मिला, हत्या के बाद अर्धनग्न अवस्था में सड़कों पर घसीटा गया था, गाजा से दो अन्य बंधकों के शव भी बरामद

विश्वRussia-Ukraine War: खार्किव पर रूसी सेना ने पकड़ मजबूत की, 200 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया

विश्वKyrgyzstan: पाकिस्तानी छात्रों पर हुए हमले के बाद भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी की, छात्रों को बाहर ना निकलने की सलाह

विश्वUK PM Rishi Sunak-Akshata Murthy Rich List: कुल संपति 65.1 करोड़ पाउंड, 245वें स्थान पर, ब्रिटेन पीएम सुनक और पत्नी अक्षता और आगे बढ़े, देखें टॉप-5 लिस्ट