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सोचिए यदि अंतरिक्ष में किसी यात्री की मौत हो जाए तो उसके शरीर का क्या होता होगा? नासा ने बताई सारी प्रक्रिया, पढ़िये यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 02, 2023 2:35 PM

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष में यात्री की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को लेकर अपनाये जाने वाले प्रोटोकॉल का खुलासा किया है।

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ठळक मुद्देअमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष में यात्री की मौत के बाद क्या होता हैदि कोई अंतरिक्ष यात्री लो अर्थ आर्बिट में मर जाता है तो चालक दल उसे लेकर वापस पृथ्वी पर आ जाता हैयही घटना मंगल या अन्य ग्रहों पर होती है तो मिशन पूरा होने के बाद ही शव को वापस लाया जाता है

ह्यूस्टन: अंतरिक्ष आज भी मानव के लिए बेहद जटिल प्रश्न बना हुआ है। मनुष्य दशकों से अंतरिक्ष की गुत्थी सुलझाने में लगा हुआ है लेकिन आज तक अंतरिक्ष इंसान के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। मानव अंतरिक्ष यान के जरिये आज भी अनगिनत सवालों के जवाब तलाश रहा है।

अंतरिक्ष अभियान कई बार असफल हुए हैं और इसमें कई बार अंतरिक्ष यात्रियों की जान भी चली गई है लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि अंतरिक्ष में मरने वालों की डेड बॉडी का क्या होता होगा।

विज्ञान की खोजी वेबसाइट 'द कन्वर्सेशन' के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उन्हीं रहस्यों पर से पर्दा उठाया है कि आखिर जह किसी अंतरिक्ष यात्री की मौत उसके अभियान के दौरान पृथ्वी से हजारों किलोमीटर दूर होती है तो उसकी डेड बॉडी के साथ क्या होता है।

नासा के अनुसार यदि कोई अंतरिक्ष यात्री लो अर्थ आर्बिट में मर जाता है, जहां कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होते हैं तो अंतरिक्ष यान के चालक दल उसके शरीर को कुछ घंटों के भीतर एक कैप्सूल में भरकर पृथ्वी पर वापस ला सकतें हैं। लेकिन यदि ऐसा कोई हादसा चंद्रमा पर हुआ तो अंतरिक्ष दल को शव वापस लेकर आने में कुछ ही दिनों में वक्त लग सकता है और इसके लिए नासा के पास पहले से ही विस्तृत प्रोटोकॉल मौजूद हैं।

ऐसे हादसों के के बाद अतंरिक्ष दल त्वरित पृथ्वी पर वापसी चाहता है क्योंकि वहां पर डेड बॉडी के खराब होने की संभावना बनी रहती है लेकिन इन सारी परिस्थितियों में नासा की पहली प्राथमिकता अभियान पर गये दल के शेष अंतरिक्ष यात्रियों की सकुशल वापसी होती है।

नासा के अनुसार यदि मंगल ग्रह की 300 मिलियन मील की यात्रा के दौरान किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाए तो परिस्थितियां एकदम अलग हो जाती हैं। वैसी दशा में अतंरिक्ष चालक दल के पास संभवतः वापसी का रास्ता नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों का दल वापसी की बजाय मिशन को पूरा करते हैं और अंत में कुछ सालों के बाद साथी यात्री के शव को लेकर पृथ्वी पर लौटते हैं।

इस पूरे प्रकरण के दौरान चालक दल संभवतः शव को एक स्पेशल कक्ष या विशेष बॉडी बैग में संरक्षित करके रखता है। अंतरिक्ष यान के अंदर स्थिर तापमान और आर्द्रता के कारण शव को लंबे समय तक संरक्षित करने में मदद मिलती है। लेकिन ये सभी बातें उसी संदर्भ में लागू होती हैं, जब किसी अंतरिक्ष यात्री की मौत अंतरिक्ष स्टेशन या अंतरिक्ष यान के भारी दबाव वाले वातावरण में हुई हो।

ऐसे में सवाल उठता है कि यदि कोई अंतरिक्ष यात्री बिना स्पेससूट पहने हुए अंतरिक्ष में कदम रखे तो क्या हो सकता है? इसके जवाब में नासा का कहना है कि अगर ऐसी कोई घटना होती है कि अंतरिक्ष यात्री की तुरंत मौत हो जाएगी क्योंकि दबाव कम और अंतरिक्ष के निर्वात में अंतरिक्ष यात्री का सांस लेना असंभव हो जाएगा।

उसके बाद नासा ने एक और सवाल, जिसमें पूछा गया कि यदि कोई अंतरिक्ष यात्री बिना स्पेससूट के चंद्रमा या मंगल ग्रह पर निकल जाए तो क्या होगा? नासा ने जवाब में कहा कि चूंकि चंद्रमा पर लगभग कोई वायुमंडल नहीं है। वहीं मंगल ग्रह का वातावरण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कमजोर है और लगभग वहां ऑक्सीजन नहीं है तो इसके परिणाम स्वरूप अंतरिक्ष यात्री की मौत तय है।

नासा ने अंतरिक्ष में यात्री की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के बार में कहा कि यदि मान लीजिए कि अंतरिक्ष यात्री की मंगल की सतह पर उतरने के बाद मृत्यु हो गई तो उसका वहां पर दाह-संस्कार नहीं किया जा सकता है क्योंकि उसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी और वह ऊर्जा दल के जीवित दल को अन्य उद्देश्यों के लिए चाहिए होती है। इसके साथ ही नासा अतंरिक्ष में शव के दफनाने का विचार भी अच्छा नहीं मानता है।

नासा का कहना है कि मृत शरीर से निकलने वाले बैक्टीरिया और अन्य जीव मंगल ग्रह की सतह को दूषित कर सकते हैं। इसलिए शव को दफनाने की बजाय चालक दल शव को एक विशेष बॉडी बैग में तब तक सुरक्षित रखेगा, जब तक कि उस शव को पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जाता।

टॅग्स :नासामंगल ग्रहचंद्रमा
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