प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (13 अगस्त) को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की याद में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उन्हें याद करते हुये कई बात बताई। पीएम मोदी ने एक किस्सा का जिक्र करते हुये कहा, सुषमा जी मेरे से उम्र में भले ही छोटी थी। लेकिन उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला था। पीएम मोदी ने कहा, ''मैं पहली बार प्रधानमंत्री बना था और संयुक्त राष्ट्र में मैं पहली बार भाषण देने वाला था। मैं पहली बार वहां जा रहा था। सुषमा जी मुझसे पहले पहुंच गई थीं। मैं जब वहां पहुंचा तो मुझे रिसीव करने के लिए वह गेट पर ही खड़ी थीं। मैंने कहा कि कल सुबह मुझे UN में बोलना है, इस पर चर्चा कर लेते हैं तो सुषमा जी ने पूछा कि आपका भाषण कहां है? मैंने कहा कि ऐसे ही बोल देंगे। बोलने में क्या है। तो उन्होंने मुझे कहा, नहीं भाई ऐसे नहीं होता है। जब दुनिया के सामने भारत के बारे में बात करनी हो तो आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। आप अपनी मर्जी से नहीं बोल सकते हैं।''
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''मैं पीएम था और वह विदेश मंत्रालय को संभालने वाली मेरे साथ की साथी मंत्री थीं, लेकिन वह मुझे कहती हैं कि अरे भई ऐसा नहीं होता है। मैंने कहा कि पढ़कर बोलना मेरे लिए मुश्किल होता है, मैं ऐसे ही बोल दूंगा। उन्होंने कहा कि जी नहीं। रात को ही उन्होंने मुझसे स्पीच तैयार कराई। हमने स्पीच ड्राफ्ट की और मैंने उसको सबुह देख लिया।''
पीएम ने बताया, 'सुषमा जी का बड़ा आग्रह था कि आप कितने ही अच्छे वक्ता क्यों न हों, आपके विचारों में कितनी ही साध्यता क्यों न हो, लेकिन कुछ फोरम होते हैं, जिनकी अपनी मर्यादा होती हैं और वे आवश्यक होती हैं। यह सुषमा जी ने मुझे पहला सबक सिखा दिया था। कहने का तात्पर्य यह है कि जिम्मेदारी जो भी हो, लेकिन जो आवश्यक है उसे बेरोकटोक कहना चाहिए।'
यहां देखें पूरा वीडियो
पीएम मोदी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा, 'वसुधैव कुटुंबकम को विदेश मंत्रालय कैसे सिद्ध कर सकता है, सुषमा स्वराज ने विश्वभर में फैले भारतीय समुदाय के लोगों के माध्यम से ये करके दिखाया।' पीएम मोदी ने कहा, सुषमा जी सबके लिए प्रेरणा का स्रोत थीं।
पीएम मोदी ने कहा, 'सुषमा जी का भाषण प्रभावी होने के साथ-साथ, प्रेरक भी होता था। सुषमा जी के वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी हर पल नए मानक पार करती थी। ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है।'
पीएम मोदी ने कहा, सुषमा जी का भाषण प्रभावी होने के साथ-साथ, प्रेरक भी होता था। सुषमा जी के वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी हर पल नए मानक पार करती थी। ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है।