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रूस में कंडोम की मांग में भारी वृद्धि, 170 फीसदी बिक्री में आया उछाल, जानिए क्या है इसकी वजह

By रुस्तम राणा | Updated: March 20, 2022 20:26 IST

पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों की वजह से यह स्थिति देखने को मिली। लोगों को डर है कि कहीं प्रतिबंध की वजह से यहां इसकी कमी न हो जाए। इसलिए लोग भर-भरकर कंडोम खरीद रहे हैं। 

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ठळक मुद्देपश्चिमी देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों की वजह से कंडोम की बिक्री में हुई वृद्धि प्रतिबंधो के बावजूद ड्यूरेक्स निर्माता ब्रिटिश कंपनी रेकिट ने यूक्रेन में अपना व्यापार रखा है जारी

रूस में कंडोम की मांग आसमान छू गई है। देश के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर वाइल्डबेरीज ने पिछले साल की तुलना में मार्च के पहले दो हफ्तों में कंडोम की बिक्री में 170 फीसदी का उछाल देखा है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों की वजह से यह स्थिति देखने को मिली। लोगों को डर है कि कहीं प्रतिबंध की वजह से यहां इसकी कमी न हो जाए। इसलिए लोग भर-भरकर कंडोम खरीद रहे हैं। 

हालांकि प्रतिबंधों के बावजूद ड्यूरेक्स और अन्य ब्रांडों की निर्माता ब्रिटिश कंपनी रेकिट यूक्रेन में अपना व्यापार करना जारी रखा है। प्रमुख फार्मेसी चेन 36.6 ने यहां अपनी बिक्री में 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। कुल मिलाकर, एक साल पहले की तुलना में केमिस्ट कंडोम की खरीद के मूल्य में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

वहीं रूस स्थित सुपरमार्केट ने कहा कि उनकी बिक्री में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रीज़र्वेटीवनया (Prezervativnaya) सेक्स शॉप की सह-मालिक येसेनिया शमोनिना ने कहा बता कि लोग भविष्य के लिए खरीदारी कर रहे हैं। इसलिए हम कीमतों में बढोतरी करने पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि ब्रांड के आधार पर उपभोक्ताओं की लागत 50 फीसदी तक बढ़ गई है।

यूक्रेन पर हमले को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को लगाया है, जिससे रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में भारी गिरावट आई है, ऐसे में रूस में आम लोगों पर इस युद्ध का बोझ पड़ रहा है। लोग महंगी चीजें खरीदने को मजबूर हैं। प्रतिबंधों के बाद रूस में कंडोम की मांग में वृद्धि को लेकर रूस प्रशासन भी सकते में है। 

कंडोम की इतनी ज्यादा डिमांड है कि पुतिन के उद्योग और व्यापार मंत्रालय को इस बात से इनकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि दीर्घकालिक समस्याएं होंगी, किंतु "इस उत्पाद की कमी की भविष्यवाणी नहीं की गई है। फिलहाल सबसे बड़े उत्पादक देशों थाईलैंड, भारत, दक्षिण कोरिया और चीन ने रूसी संघ को उत्पादों की डिलीवरी को जारी रखा है।

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