वाराणसी: एक छात्रा ने 25001 चावल के दानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर बनाने का कारनामा कर दिखाया है। इतना ही नहीं छात्रा ने फ्रेम में मढ़े गये सभी चावल के दानों पर 'राम' का नाम भी लिखा है।
जी हां, वाराणसी की महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग की छात्रा अंकिता वर्मा ने 'राम' नाम अंकित 25001 चावल के दाने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पोट्रेट बनाया है।
अंकिता वर्मा का यह पोट्रेट वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ऑफ इंडिया में दर्ज हुआ है। इस पोट्रेट का विमोचन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वाइस चांसलर आनंद कुमार त्यागी ने किया और अंकिता को वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ऑफ इंडिया के तरफ से महात्मा गांधी विश्वशांति पुरस्कार विजेता और अंकिता के गाइड डॉक्टर जगदीश पिल्लई को भी सर्टिफिकेट और मेडल से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर काशी विद्यापीठ के वाइस चांसलर आनंद कुमार त्यागी ने अंकिता के काम की तारीफ करते हुए कहा कि अंकिता ने असाधारण पोट्रेट बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश सके प्रेरणास्रोत हैं और उनकी छवि को चावल के दाने पर अंकित करना वाकई एक अनोखा कार्य है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की पूर्व छात्रा और वर्तमान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से वैदिक विज्ञान में अध्ययन कर रही गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित नेहा सिंह ने भी अंकिता वर्मा को मोमेंटो देर सम्मानिक किया।
अंकिता वर्मा ने बताया कि पिछले साल सात महीने की कड़ी मेहनत से उन्होंने एक-एक चावल के दाने पर पहले 'राम' नाम अंकित किया फिर उसके बाद चावल के एक-एक दानों को बहुत बारीकी से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र तैयार किया।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हो रही परीक्षा और छात्रसंघ चुनाव के कारण अंकिता के बनाये इस पोट्रेट के अनावरण में थोड़ा समय लगा। लेकिन वाइस चांसलर के हाथों से सम्मानिक होकर अंकिता बेहद खुश हैं।
अंकिता कहती है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाये जा रहे 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान और उनके अन्य जनकल्याण के कार्यों से बहुत प्रभावित हैं और इसलिए वह अपनी कला के माध्यम से उनके सम्मान में कुछ करना चाहती थी, जो इस नायाब पोट्रेट की शक्ल में दुनिया के सामने आया है।
अंकिता बनारस के पड़ोसी जिले गाजीपुर की रहने वाली हैं। अंकिता का कहना है कि वह अपने गांव बड़ागांव मखदूमपुर में अपनी कला द्वारा रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देना चाहती हैं और साथ ही गांव के छोटे-छोटे बच्चों को मुफ्त में कला की शिक्षा देना चाहती हैं।