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Coronavirus से भी खतरनाक वायरस दुनिया को हिला सकता है, Ebola की खोज करने वाले Scientist का सनसनीखेज दावा

By गुणातीत ओझा | Published: December 24, 2020 10:22 PM2020-12-24T22:22:30+5:302020-12-24T22:22:46+5:30

मानवता के लिए सख्त चेतावनी में इबोला वायरस (Ebola) की खोज करने वाले वैज्ञानिक ने इसके प्रति लोगों को सावधान किया है। उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में कोविड-19 (Covid-19) से भी ज्यादा खतरनाक और घातक वायरस का पता चल सकता है।

''कोरोना से भी खतरनाक वायरस से हिल सकती है दुनिया''

कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप अभी टला नहीं है। कोरोना महामारी जड़ से जा पाएगी या नहीं यह भी अभी साफ नहीं है। इस बीच एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोरोना वायरस से भी खतरनाक वायरस दुनिया को झंकझोर सकता है। मानवता के लिए सख्त चेतावनी में इबोला वायरस (Ebola) की खोज करने वाले वैज्ञानिक ने इसके प्रति लोगों को सावधान किया है। उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में कोविड-19 (Covid-19) से भी ज्यादा खतरनाक और घातक वायरस का पता चल सकता है। 1976 में इबोला की खोज में मदद करने वाले प्रोफेसर जीन-जैक्स मुएम्बे ताम्फुम (Professor Jean-Jacques Muyembe Tamfum) ने सीएनएन के साथ बातचीत में कोविड से भी खतरनाक वायरस का जिक्र करते हुए दुनिया को आगाह किया है।

उन्होंने कहा, "प्रोफेसर तांफुम ने कहा कि हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां कई रोगजनक वायरस सामने आएंगे।" इबोला वायरस का पता चलने के साथ ही ताम्फुम ज्यादा खतरनाक रोगजनक वायरस पर रिसर्च में जुटे हुए हैं। उन्होंने इंसानों से जानवरों में बीमारी के संभावित फैलाव के हवाले से बताया कि ये इंसानियत के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है और इसकी शुरुआत अफ्रीका के ऊष्णकटिबंधीय बारिश वाले जंगलों से हो सकती है। उन्होंने कहा कि ये जानवरों से इंसानों में फैल सकती है जिससे स्वास्थ्य और जिंदगी को खतरा है।

दरअसल, अफ्रीकी देश कांगो गणराज्य में एक महिला में एक खतरनाक वायरस दिखा है, जिसे इबोला जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों को लग रहा है कि यह कोई नया वायरस है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस कोरोना से भी तेज गति से फैल सकता है और यह इबोला की तरह ही जानलेवा है। वैज्ञानिकों की ओर से आशंका जताई जा रही है कि यह पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा घातक वायरस हो सकता है।

आपको बता दें कि जिस वक्त इबोला की खोज हुई थी, उस वक्त ताम्फुम पीड़ितों के ब्लड सैंपल इकट्ठा करने के लिए फ्रंट लाइन पर थे। इबोला बहुत खतरनाक बीमारी है जो नकसीर का कारण बनती है। इस बीमारी के संक्रमण में मृत्यु दर अधिक होती है। बीमारी के फैलाव की शुरुआत में, इबोला के चलते 88 फीसद संक्रमित लोगों की जान चली गई थी। ताम्फुम के मुताबिक, पीला बुखार, इन्फ्लुएंजा के विभिन्न प्रकार, रेबीज, ब्रूसीलोसिस और लाइम बीमारियां सभी चूहा, गिलहरी और कतरने वाले जानवर या कीड़े-मकोड़ों से इंसानों में आई थीं और महामारी के प्रकोप का कारण बनी थीं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आधिकारिक रूप से इबोला प्रकोप को इस साल जून 2020 में खत्म करने की घोषणा की थी। हालांकि, हाल ही में कोविड-19 की महामारी ने दूसरे नए इबोला प्रकोप के खतरे को बढ़ा दिया है। जिसके चलते मानव जीवन को जबरदस्त स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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