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सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला, महिलाओं पर रेप और छेड़छाड़ का मामला नहीं चल सकता है

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 6, 2018 12:35 PM2018-02-06T12:35:44+5:302018-02-06T12:36:50+5:30

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महिलाओं पर रेप, यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ के मामले को जेंडर न्यूट्रल बनाए जाने वाली याचिका को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि यह एक ‘‘काल्पनिक स्थिति’’ है और महिलाओं पर रेप और छेड़छाड़ का मामला नहीं चल सकता है। अर्जी खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने कहा कि कोर्ट इस मामले में कुछ नहीं कर सकती, अगर संसद चाहे तो सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखकर इस पर विचार कर सकती है। यह एक ‘‘काल्पनिक स्थिति’’ है और सामाजिक जरूरतों के मुताबिक संसद इस पर विचार कर सकती है। पीठ ने यह भी कहा कि संसद चाहे तो कानून में बदलाव कर सकती है और न्यायालय इसमें दखल नहीं दे सकता। याचिकाकर्ता-वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि कानून किसी पुरुष के खिलाफ भेदभावपूर्ण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘‘अपराध का कोई लिंग नहीं होता और न ही कानून लिंग आधारित होना चाहिए। आईपीसी में किसी शख्स की ओर से इस्तेमाल किए गए शब्दों को हटाया जाना चाहिए। कानून अपराधियों के बीच भेदभाव नहीं करता और अपराध को अंजाम देने वाले हर शख्स को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला हो कार्यवाही के दौरान न्यायालय ने कहा, ‘‘आप कह रहे हैं कि एक महिला भी किसी पुरुष का पीछा कर सकती है। क्या आपने किसी महिला को शिकायत दाखिल करते देखा है जिसमें वह कह रही हो कि किसी और महिला ने उससे बलात्कार किया या उसका पीछा किया? यह एक काल्पनिक स्थिति है। सामाजिक जरूरतों के मुताबिक संसद चाहे तो कानून में बदलाव कर सकती है।’’

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