23 मार्च 1931: चाहे इसे शहीदी दिवस कहिये या शहीद दिवस, क्या ये हमारी ज़िन्दगी में सिर्फ एक तारीख बनकर तो नहीं रह गए हैं? कहां दफ़न हो गया भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का पागलपन जिसने किया था हिंदुस्तान को अंग्रेजों से आज़ाद? क्या अब नहीं है किसी में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का वो ज़ज़्बा जिसने उनकी शहादत को कर दिया अमर. इस शहीदी दिवस पर सिर्फ देशभक्ति निपटाओ नहीं, निभाओ!