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क्या आप जानते हैं राम प्रसाद बिस्मिल की माँ दारुण ग़रीबी में मर गयीं!

By रंगनाथ सिंह | Published: December 3, 2020 11:42 AM2020-12-03T11:42:38+5:302020-12-03T12:06:46+5:30

किताबी कीड़ा के नए एपिसोड में शाह आलम की नई किताब 'आजादी की डगर पे पाँव' की समीक्षा कर रहे हैं रंगनाथ सिंह।

 

हम सब ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला ख़ाँ, रोशन सिंह, शचीन्द्रनाथ सान्याल, भगवती चरण वोहरा, दुर्गा भाभी का नाम सुना होगा लेकिन इन शहीदों के परिजनों का आजाद भारत में क्या हाल हुआ ये हम में से कितने लोग जानते हैं? 

हम में से कितने लोग जानते हैं कि बिस्मिल को कहाँ फाँसी हुई? अशफाक कहाँ शहीद हुए? रोशन सिंह ने आखिरी साँसें कहाँ लीं?

हम में से कितने लोग जानते हैं कि गणेश शंकर विद्यार्थी के चर्चित प्रताप प्रेस का उनके बाद क्या हुआ? इन्हीं सवालों का जवाब देती है शाह आलम की किताब 'आजादी की डगर पे पाँव' जिसकी समीक्षा किताबी कीड़ा के ताजा एपिसोड में की गयी है।

आजादी की डगर पे पाँव , मित्र शाह आलम की नई किताब है। इससे पहले वह बीहड़ में साइकिल, कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित, मातृवेदी-बागियों की अमर कथा जैसी बढ़िया किताबें लिख चुके हैं।

किताब का विषय मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है। हिन्दी साहित्य में रुचि रखने वाले बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का नाम न सुना हो। ज़्यादातर भारतीय इस संगठन को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खाँ और रोशन सिंह की की वजह से जानते हैं। इसी संगठन को हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRSA) के तौर पर चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह वगैरह ने फिर से जिंदा किया था। 

भगत सिंह तो सेलेब्रिटी बन गये इसलिए उनके बारे में काफी मालूमात है लेकिन शहीद रामचंद्र विद्यार्थी और मौलवी अहमदउल्ला ख़ान जैसे शहीदों के बारे में जानने के लिए आपको यह किताब पढ़नी पड़ेगी। कानपुर एक्शन से जुड़े अनंतराम श्रीवास्तव जैसे स्वतंत्रतासेनानी आज के हिंदुस्तान के बारे में क्या सोचते हैं यह भी आप इस किताब को पढ़कर जान पाएंगे।


 

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