टूरिज्म विलेज है भारत का आखिरी गांव माणा
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में बसा है भारत का आखिरी गांव माणा। इसे उत्तराखंड सरकार के द्वारा भी भारत का टूरिज्म विलेज घोषित कर दिया गया है। इसकी घोषणा के बाद ही यह गांव तेजी से लोगों के बीच चर्चा का विषय बनकर आया है। सरस्वती नदी के तट पर बसा यह गांव 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनाथ से इसकी दूरी महज 3 किलोमीटर की ही है।
मशहूर हैं यहां के गर्म कपडे़ और शॉल
भारत के इस आखिरी गांव माणा में भूटिया जनजाति के लोग रहते हैं। आम गांव की ही तरह यहां भी छोटी-छोटी झोपड़ियां हैं मगर ठंड मौसम होने की वजह से यह और भी खूबसूरत लगती है। इस गांव को साफ-सुथरे गांव की लिस्ट में भी शामिल किया जा सकता है। इस गांव में लोग खुद से गर्म कपड़े बीनते हैं जो यहां की पहचान भी कही जा सकती है। यहां आए पर्यटक माणा से बने शॉल, स्वेटर और मफलर को अपने साथ जरूर ले जाते हैं। इसके अलावा यह गांव आलू और किडनी बीन्स के लिए भी जाना जाता है।
क्वीन ऑफ गढ़वाल है यहां की शान
आप अगर भारत के आखिरी गांव माणा की सैर पर निकले हैं तो यहां की खूबसूरत वादियों के बीच नीलकंठ की चोटी की सैर पर जरूर जाएं। 6597 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस नीलकंठ की चोटी से प्रकृति के बेहद मनोहक दृश्य दिखाई देते हैं। इस जगह से आपको बद्रीनाथ मंदिर और उसके आस-पास के सभी क्षेत्र आसानी से दिखाई दे जाएंगे। खास बात यह है कि इस चोटी को क्वीन ऑफ गढ़वाल के नाम से भी जाना जाता है।
विष्णु रूप, नर और नारायण ने यहीं लिया था जन्म
माणा गांव में हर साल अगस्त के महीने में माता-मूर्ति मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। नारायण भगवान को समर्पित इस मंदिर की मान्यता है कि माता मूर्ति ने यहां भगवान विष्णु की पूजा करके उनसे पुत्र रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की थी। भगवान विष्णु ने उनकी इस बात को मानते हुए जुड़वा यानी नर और नारायण के रूप में जन्म लिया था।
भीम ने बनाया था भीम पुल
इस गांव की इतिहास की बात करें तो वह काफी प्राचीन हैं। बताया जाता है कि स्वर्ग यात्रा के दौरान सरस्वती नदी के तेज बहाव के कारण उसे पार नहीं कर पा रही थीं तब भीम में दो बड़े पत्थरों को जोड़कर उसका पुल बनाया था। जिसे आज भीम पुल के नाम से जाना जाता है।
तप्त कुंड में करें स्नान
तप्त कुंड यानी गर्म पानी। यह जगह आपको अचंभे में डाल सकती हैं। क्योंकि चारों ओर से बर्फ से घिरे पहाड़ों के बीच आपको एक ऐसे कुंड मिलेगा जिसमें प्राकृतिक रूप से गर्म पानी आता है। कहते हैं इस गर्म पानी में नहाने से स्किन से जुड़ी सारी समस्या दूर हो जाती है। हर साल सैलानी यहां हजारों की संख्या में स्नान के लिए आते हैं।
चारों वेदों की यही हुई थी रचना
माणा ही वो गांव हैं जिसके बारे में मान्यता है कि यहां की व्यास गुफा में चारों वेदों की रचना हुई थी। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि इसी गुफा में आज से सालों पहले महर्षि वेद व्यास ने गुफा के अंदर चारों वेदों की रचना की थी। गुफा के अंदर एक छोटा मंदिर भी है जिसे लोग पूजते हैं।