सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
सीईसी ने आरटीआई प्रावधान के अंतर्गत सूचना के आवेदन प्राप्त करने के लिये बीसीसीआई को 15 दिन के अंदर ऑनलाइन और ऑफलाइन तंत्र तैयार करने के निर्देश दिये। ...
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की सुरक्षा में कितना पैसा खर्च होता है ये हर कोई जानना चाहता है लेकिन केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने इसका ब्योरा देने से मना कर दिया है। ...
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक आरटीआई अर्जी के जवाब में कहा है कि जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फिटनेस वीडियो बनाने में कोई खर्च नहीं आया था। ...
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम अपने कार्यकाल में अब तक कुल 165 दिन विदेश में रहे हैं। इसके साथ ही इस बात का खुलासा हुआ है कि पीएम मोदी अपने 48 महीने के कार्यकाल में अबतक 41 देशों में दौरा कर चुके हैं। ...