आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु का पूजन किया जाता है। समूचे भारतवर्ष में गुरु पूर्णिमा बड़ी श्रद्वा भक्ति से मनाई जाती है। सभी शिष्य अपने-अपने गुरु का पूजन करते हैं। चारों वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद के प्रथम प्रख्याता व पराशर ऋषि के पुत्र कृष्ण द्वैपायन का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। वेदों का ज्ञान हमें व्यासजी से प्राप्त हुआ है, इसलिए वही आदिगुरु है। व्यासजी की स्मृति बनाए रखने के लिए हमें अपने अपने गुरु को व्यास जी का अंश मानकर श्रद्वा भक्ति से उनका पूजन करना चाहिए। Read More
Guru Purnima 2018 History and Importance of Guru Purnima: बौद्ध धर्म के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने पहली बार लोगों को धर्मापदेश दिया था। ...