नई दिल्ली, 29 अगस्त: बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा, स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों और अन्य कठिनाइयों के समय प्रतिक्रिया को अधिक प्रभावी और तेज बनाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-एआई) और मशीन लर्निंग जैसी नयी तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई सहयोगी कंपनियों के साथ काम कर रही है। इसी के साथ गूगल डॉट ओआरजी ने भी केरल में राहत के लिए 10 लाख डॉलर की मदद की है।
गूगल की प्रौद्योगिकी परियोजना प्रबंधक (टेंसर फ्लो) अनीता विजयकुमार ने कहा कि कंपनी ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो एआई का इस्तेमाल कर बाढ़ की सटीक और पहले जानकारी देती है। साथ ही उन इलाकों के बारे में भी बताती है जो बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील और ज्यादा खतरनाक हैं।
साल की शुरुआत में गूगल ने बाढ़ चेतावनी पर एक प्रायोगिक परियोजना के लिए जल संसाधन मंत्रालय के साथ साझेदारी की थी। यह चेतावनी प्रणाली एआई और मशीन लर्निंग पर आधारित थी।
विजयकुमार ने बताया कि प्रायोगिक प्रणाली का इस्तेमाल बाढ़ संभावित क्षेत्रों में किया गया। इसके ‘शुरुआती परिणाम काफी रोमांचक’ हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का विस्तार देश के अन्य हिस्सों तक किया जा सकता है।
गौरतलब है कि केरल इस समय सदी की सबसे भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है, जिसमें अब तक कुल 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 7.8 लाख लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
इसे देखते हुए गूगल ने दक्षिणी राज्यों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं। उसने गूगल सर्च पर ही एसओएस अलर्ट की सुविधा शुरू की है जो अंग्रेजी और मलयालम में तत्काल सभी तरह के आकस्मिक मदद के नंबर उपलब्ध कराता है।
गूगल के दक्षिण पूर्वी एशिया और भारत के उपाध्यक्ष राजन आनंदन ने कहा, ‘‘इसी के साथ हमने अंग्रेजी और मलयालम भाषा में ‘पर्सन फाइंडर’ (लोगों को तलाश) भी शुरू किया है। ताकि लोग अपने खोए हुए परिवार के सदस्यों या दोस्तों इत्यादि की तलाश कर सकें। ‘पर्सन फाइंडर’ पर 22,000 लोगों के रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। बचाव कार्य को प्रभावी बनाने के लिए यह जानकारी हम गूगल मैप्स पर भी दे रहे हैं।’’
कंपनी ने बताया कि उसकी भुगतान सेवा ‘तेज’ पर उसने केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने का अभियान भी शुरू किया है। इस पर अब तक 2.7 लाख लोगों ने 11 लाख डॉलर की मदद की है। गूगल ने तेज एप का नाम बदलकर ‘गूगल पे’ करने की भी घोषणा की।
विजयकुमार ने बताया कि गूगल भारत में कई संगठनों के साथ काम कर रही है जो एआई का उपयोग कर मधुमेह से होने वाली अंधता (डायबेटिक रेटिनोपेथी) की पहचान में मदद करेगा।