नई दिल्ली: लुटियन की दिल्ली के इलाके के लोगों को सम्मानित करने की पूर्ववर्ती सरकारों की परंपरा को तोड़कर उपेक्षित, अनजान हीरोज को सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को जाना जाता रहा है. वे ऐसा एक बार कह भी चुके हैं, लेकिन उनकी सरकार का सातवां साल (2021) कुछ अलग ही है.
पीएम मोदी ने इस मर्तबा आधा दर्जन से ज्यादा राजनीतिक नेताओं को पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल कर बदलाव का संकेत दिया है.
उन्होंने केशुभाई पटेल (भाजपा-गुजरात), रामविलास पासवान (लोजपा-बिहार) और तरुण गोगोई (कांग्रेस-असम) को मरणोपरांत पद्मभूषण देकर कुछ राजनीतिक संकेत दिए हैं. उन्होंने कुछ वर्तमान राजनेताओं का भी पद्म पुरस्कारों के लिए चयन किया.
पद्म पुरस्कार 2021: चौंकाने वाला चयन
पद्मभूषण पुरस्कारों के लिए सबसे चौंकाने वाला चयन सरदार त्रिलोचन सिंह (हरियाणा) का रहा. त्रिलोचन सिंह मूलत: पंजाब के हैं और अकाली दल (बादल) के प्रमुख नेता हैं, लेकिन राज्यसभा में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें पुरस्कार देकर मोदी सरकार ने अकाली दल के साथ सुलह की कोशिशों के संकेत दिए हैं.
त्रिलोचन सिंह हरियाणा के चौटाला परिवार के भी करीबी हैं. चौटाला परिवार किसान आंदोलन में सक्रिय है. उल्लेखनीय है कि हरसिमरत कौर बादल के कृषि कानून का विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद अकाली दल ने राजग का साथ छोड़ दिया था.
पद्म पुरस्कार 2021: बदलते इरादों के संकेत
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पद्मभूषण की सूची में स्थान मिला तो पूर्व केंद्रीय मंत्री बिजोय चक्रवर्ती को पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
भाजपा की एक अन्य नेता और गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा को भी पद्मश्री मिली. इससे जाहिर होता है कि मोदी का इरादा पंजाब, असम और बिहार में पार्टी की स्थिति को और अधिक मजबूत करने का है.
उल्लेखनीय तथ्य यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि 119 पद्म पुरस्कारों में से 35 प्रतिशत उन राज्यों के लोगों को गए हैं, जहां अप्रैल-मई में चुनाव होना है. तमिलनाडु को सबसे ज्यादा 11 पद्म पुरस्कार मिले.
इसके बाद असम (9), प. बंगाल (7), केरल (6) और पुद्दुचेरी (1) का स्थान रहा. गैर-भाजपा नेताओं को भी पद्म पुरस्कार देकर मोदी ने खुद को निष्पक्ष नेता के तौर पर स्थापित करने की भी कोशिश की है.