नागालैंड विधानसभा चुनाव की सभी 60 सीटों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और भारतीय जनता (बीजेपी) का गठबंधन जीत की ओर बढ़ रहा है। इसी के साथ सत्ताधारी नागा पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को इस बार विपक्ष में बैठना पड़ सकता है। ये चुनाव परिणाम कई मायनों में ऐतिहासिक रहे हैं। पहला कारण नागालैंड की नवगठित नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की है। दूसरा कारण कांग्रेस है। 2003 से पहले यहां कांग्रेस की सरकार थी। इस चुनाव में कांग्रेस को अभी तक एक भी सीट नहीं मिली है। क्या हैं इस ऐतिहासिक जीत की वजहें? क्यों बीजेपी ने चुनाव से ठीक पहले तोड़ा 15 साल पुराना गठबंधन? क्या है नागालैंड के चुनावी नतीजों के मायने? पढ़िए पूरा चुनावी विश्लेषण।
बीजेपी ने छोड़ा 15 साल पुराना गठबंधनः-
नागालैंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने एक बड़ा फैसला किया। यहां बीजेपी ने एनपीएफ का 15 साल पुराना साथ छोड़कर एनडीपीपी के साथ गठबंधन किया। दरअसल, बीजेपी ने वक्त की नब्ज समझ ली थी। बीजेपी को एंटी एंकेम्बेंसी की आशंका थी शायद इसलिए उसने सत्ताधारी पार्टी एनपीएफ का साथ छोड़कर नवगठित पार्टी से हाथ मिलाया। बीजेपी का यह दांव कारगर रहा। एनडीपीपी ने अप्रत्याशित सफलता हासिल की। नागालैंड विधानसभा चुनावों में एनडीपीपी ने 40 और बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
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रियो की कारगर रणनीतिः-
नागालैंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे नैफ्यू रियो ने चुनाव से पहले नई पार्टी बनाने की घोषणा की। वो अपने मुद्दे जनता तक पहुंचाने में सफल रहे। बीजेपी के साथ मिलकर उन्होंने कारगर रणनीति बनाई। कार्यकर्ताओं का साथ मिला और ये करिश्मा हो गया।
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बीजेपी का शातिर दांवः-
2013 के विधानसभा चुनावों में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को 38 सीटें मिली थी। एनपीएफ की सहयोगी बीजेपी को 1 सीट मिली थी। कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आई थी जो 2008 के मुकाबले 15 सीट कम थी। एनपीएफ ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और बीजेपी उसमें शामिल थी। 2018 चुनावों में भी बीजेपी सरकार में रहेगी लेकिन उसका साझीदार बदल गया है।
कांग्रेस की जमीन खिसकीः-
नागालैंड में 2003 तक कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन उसके बाद उसके प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है। 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आठ सीटों पर सिमट गई थी। 2008 में उसे पिछले चुनावों के मुकाबले आठ सीटों का नुकसान हुआ था। 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी को राज्य की सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार तक नहीं मिले। कांग्रेस ने राज्य की 23 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की लेकिन 19 उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतरे थे और उसके हाथ कुछ नहीं लगा। कांग्रेस प्रदेश में नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के संकट से जूझ रही है। नागालैंड में कांग्रेस की जमीन ही खिसक गई।