INS Vikrant: पीएम मोदी ने 20,000 करोड़ रुपये के मेड-इन-इंडिया एयरक्राफ्ट कैरियर 'आईएनएस विक्रांत' को भारतीय नौसेना को सौंपेंगे

By हर्ष वर्धन मिश्रा | Published: September 2, 2022 04:02 PM2022-09-02T16:02:47+5:302022-09-02T16:02:47+5:30

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’(INS Vikrant) का जलावतरण किया, जो भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज हैं। (फोटो: Twitter/ANI)

कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत कई मायनों में खास हैं। (फोटो: Twitter/ANI)

आईएनएस विक्रांत भारत के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है। यह हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे। (फोटो: Twitter/ANI)

आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता हैं। (फोटो: Twitter/ANI)

युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया हैं। (फोटो: Twitter/ANI)

विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे। (फोटो: Twitter/ANI)

स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी। विमान वाहक बनाने के लिए खास तरह के स्टील की जरूरत होती है जिसे वॉरशिप ग्रेड स्टील (डब्ल्यूजीएस) कहते हैं। (फोटो: Twitter/ANI)