1 / 10मैं ढूँढता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता नई ज़मीं नया आसमाँ नहीं मिलता2 / 10शोर यूं ही न परिंदों ने मचाया होगा, कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा3 / 10बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में4 / 10वक्त ने किया क्या हंसी सितम तुम रहे न तुम, हम रहे न हम5 / 10इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद6 / 10पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं7 / 10झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं8 / 10रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ बार-हा तोड़ चुका हूँ जिन को उन्हीं दीवारों से टकराता हूँ9 / 10कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने दिया कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं सर हिमालय का हमने न झुकने दिया10 / 10आया गुस्से का इक ऐसा झोंका बुझ गये सारे दीये हाँ मगर एक दीया, नाम है जिसका उम्मीद झिलमिलाता ही चला जाता है