1 / 11जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता है न, तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है।2 / 11ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत ख़ून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं।3 / 11अशरफ अली! आपका पाकिस्तान ज़िंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद है, ज़िंदाबाद था और ज़िंदाबाद रहेगा।4 / 11उतार कर फेंक दो यह वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में यू बा..... ऑन माई फुट, माई फुट।5 / 11तारीख़ पे तारीख़ ,तारीख़ पे तारीख़,तारीख़ पे तारीख़ मिलती रही है मायलार्ड मगर इंसाफ़ नही मिला।6 / 11पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या. तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं. तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू।7 / 11चिल्लाओ मत .. नहीं तो यह केस यहीं रफ़ा दफ़ा कर दूँगा … ना तारीख ना सुनवाई, सीधा इंसाफ़ वो भी ताबड़तोड़।8 / 11भैरो सिंह, आज मरने की बात की है, दोबारा मत करना. दुनिया की तारीख़ शाहिद है कि मरकर किसी ने लड़ाई नहीं जीती. लड़ाई जीती जाती है दुश्मन को ख़तम करके।9 / 11नहीं! तुम सिर्फ मेरी हो, और किसी की नहीं हो सकती. हम दोनों के बीच अगर कोई आया तो समझो वो मर गया. काजल! इन हाथों ने सिर्फ हथियार छोड़े हैं, चलाना नहीं भूले. अगर इस चौखट पर बारात आई तो डोली की जगह उनकी अर्थियां उठेंगी और सबसे पहले अर्थी उसकी उठेगी जिसके सर पर सेहरा होगा. लाशें बिछा दूंगा, लाशें!10 / 11चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाज़त नहीं।11 / 11अगर अदालत में तूने कोई बद्तमीजी की तो वहीं मारूंगा. जज ऑर्डर-ऑर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा।