सरकार ने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) के नियमों में कई बदलाव किए हैं। 12 दिसंबर 2019 को इसकी अधिसूचना जारी होते ही लोगों में चर्चा शुरू हो गई है। सभी जानते चाहते हैं कि नए नियमों से उपभोक्ताओं का फायदा होगा या नुकसान। हम आपको पांच आसान बिंदुओं में बताने जा रहे हैं कि पीपीएफ से जुड़े किन नियमों को बदला गया है और इसका क्या असर होगा।
#1. पीपीएफ के नए नियमों के मुताबिक खाताधारक एक साल में चाहे जितनी बार रकम जमा कर सकता है। कुल मिलाकर एक साल में यह रकम डेढ़ लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। पहले खाताधारक एक साल में सिर्फ 12 बार ही डिपॉजिट कर सकता था। नए नियम में 12 बार की बाध्यता खत्म होने से खाताधारकों को सहूलियत होगी।
#2. पीपीएफ के नए नियमों के मुताबिक पीपीएफ पर कर्ज की ब्याज दर को 1 प्रतिशत कर दिया है। अर्थात अगर आपको पीपीएफ पर 8 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलती है तो उस पर लिए गए कर्ज पर 9 प्रतिशत ब्याज देना होगा। पहले यह दर 10 प्रतिशत होती। इस लिहाज से यह बदलाव भी खाताधारकों के हित में है।
#3. 2016 में सरकार ने पीपीएफ खाते को समय से पहले बंद करने की अनुमति दी थी। पीपीएफ योजना 2019 में जिस खाते को खोला गया है, उस वर्ष के अंत के बाद 5 वित्तीय वर्षों के पूरा होने के बाद समय से पहले इसे बंद करने की अनुमति है। हालांकि, इसके लिए पीपीएफ योजना 2019 के तहत एक विशेष फॉर्म, फॉर्म 5 बनाया गया है।
#4. इससे पहले सरकार ने खाताधारक, पति या पत्नी, आश्रित बच्चों या माता-पिता को प्रभावित करने वाली गंभीर बीमारियों या जीवन के लिए खतरा होने पर पीपीएफ खाते को समय से पहले बंद करने की अनुमति दी थी। यह जस का तस है, इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
#5. पीपीएफ योजना 1968 के मुताबिक, एनआरआई पीपीएफ खाता नहीं खोल सकते हैं। हालांकि, एक NRI जो बाद में मैच्योरिटी अवधि के दौरान एनआरआई बन जाता है, अपनी मैच्योरिटी तक पीपीएफ की सदस्यता जारी रख सकता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड निवेश का एक बेहद लोकप्रिय साधन है। इसके मैच्योर की अवधि 15 साल होती है। सरकार हर तिमाही ब्याज दर में बदलाव करती है। पीपीएफ पर मिलने वाली मौजूदा ब्याज दर 7.9 प्रतिशत है।