शिवसेना ने मुंबई की वर्ली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे आदित्य ठाकरे के लिए चुनाव प्रचार का आगाज अनोखे अंदाज में करते हुए कई भाषाओं में उनके पोस्टर लगाए हैं। आदित्य ठाकरे परिवार के ऐसे पहले सदस्य हैं, जो चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
शिव सेना ने वर्ली में आदित्य का पोस्टर गुजराती, मराठी और कन्नड़ समेत कई भाषाओं में लगाते हुए लिखा है, 'कैसे हो वर्ली?'
आदित्य को अपने दादा बाल ठाकरे की परछाई माना जाता है, खासतौर पर उनके सामाजिक दायरे को देखते हुए, जिसमें काफी हद तक गैर-मराठी भाषी शामिल हैं। इसे शिवसेना के मराठी से बहुभाषी राजनीति की तरफ खिसकने के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
मंगलवार को जारी शिवसेना की 70 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में आदित्य ठाकरे को वर्ली से उम्मीदवार घोषित किया गया है।
कुछ लोगों ने की गुजराती पोस्टर्स की आलोचना
उनके गुजराती भाषा में लगाए गए पोस्टर की काफी चर्चा हो रही है, जिसमें लिखा है 'केम छो वर्ली (कैसे हो वर्ली)?'
हालांकि सेना ने आदित्य का पोस्टर मराठी में भी लगाया है, लेकिन उनके गुजराती पोस्टर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या गुजराती वोटरों को आकर्षित करने के लिए शिवसेना अपनी उस आलोचना को भूल गई है, जिसमें वह अक्सर ज्यादातर उद्योग-धंधों के गुजरात जाने पर सवाल उठाती रही है।
आदित्य चुनाव लड़ने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य
बालासाहब ठाकरे द्वारा 1966 में शिवसेना की स्थापना के बाद से परिवार के किसी सदस्य ने न तो चुनाव लड़ा है और नही कोई संवैधानिक पद ग्रहण किया है। ऐसे में आदित्य ठाकरे चुनाव मैदा में उतरकर एक नई परंपरा की शुरुआत करने जा रहे हैं।
शिवसेना की नजरें आदित्य ठाकरे को चुनाव मैदान में उतारकर मुख्यमंत्री पद पर हैं, हालांकि खुद आदित्य ने कहा कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं।
लेकिन शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि आदित्य ठाकरे उपमुख्यमंत्री नहीं बनेंगे और अगर ठाकरे परिवार का कोई सदस्य सरकार में शामिल होता है वह केवल पद मुख्यमंत्री का होना चाहिए।
शिवे सेना नेता संजय राउत ने कहा, 'अगर वह (आदित्य) युवाओं का नेतृत्व कर रहे हैं तो वह सरकार भी चला सकते हैं। अगर शिव सेना परिवार का कोई सदस्य सरकार में शामिल होता है, तो वह सिर्फ उपमुख्यमंत्री का पद नहीं होगा, बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री बनना चाहिए।'