नागपुर: जिले में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या एवं रोजगार के कम अवसर का ठीकरा सरकारी-निजी संस्थाओं पर फोड़ा गया है. जिला कौशल्य विकास, रोजगार एवं उद्योजकता विकास केंद्र ने सफाई देते हुए कहा कि नियोक्ता चाहे वह सरकारी हो अथवा निजी, वे रोजगार देने की जानकारी केंद्र के पोर्टल पर अपलोड नहीं करते. इस वजह से इस बात की जानकारी सामने नहीं आ पा रही कि कितने लोगों को रोजगार मिला है.
उल्लेखनीय है कि 'लोकमत समाचार' ने केंद्र में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या एवं उन्हें मिले रोजगार के संदर्भ में खबर प्रकाशित की है. केंद्र के 43 पदों में से केवल 10 पर ही कर्मी होने का भी खुलासा किया है. इस खबर से प्रशासन में हड़कंप मच गया. केंद्र ने अपनी सफाई देते हुए इसे वस्तुस्थिति बताते हुए दावा किया है कि कम मनुष्यबल में भी काम किया जा रहा है. अवकाश के दिन भी कार्यालय के कर्मी काम कर रहे हैं. रोजगार के अवसर पर केंद्र ने स्वीकार किया है कि उसके पास इस बात की जानकारी उपलब्ध नहीं होती कि उसके पास पंजीकृत कितने बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हुआ है. नियोक्ता इसकी जानकारी नहीं देते.
पंजीकृत बेरोजगार भी अपना नाम सूची से नहीं हटवाते. केंद्र का दावा है कि 2019-20 में विज्ञापन के मार्फत 3070 एवं रोजगार प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत 194 को काम मिला है. वैसे केंद्र के पास उपलब्ध पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 264122 है. वर्ष में कुल पांच रोजगार सम्मेलन आयोजित किए गए. इनके मार्फत 338 का चयन हुआ है
केंद्र ने केआरए के लक्ष्य की पूर्ति का दावा करते हुए कौशल विकास प्रशिक्षण का लाभ बेरोजगारों को मिल रहा है. लेकिन प्रशिक्षण हासिल करने वालों को रोजगार उपलब्ध कराने की जवाबदारी प्रशिक्षण केंद्र के प्रमुख की है. दीनदयाल नागरी उपजीविका अभियान (एनयूएलएम) के तहत अब तक 6641 एवं जिला स्तरीय योजना के तहत 697 को रोजगार मिला है.