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शिवसेना सांसद संजय राउत की हुई गिरफ्तारी, पात्रा चॉल घोटाले से क्या है राउत और उनकी पत्नी का कनेक्शन, जानिए

By मेघना सचदेवा | Updated: August 1, 2022 12:34 IST

शिवसेना सांसद संजय राउत को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। पात्रा चॉल जमीन घोटाले मामले में लॉन्ड्रिंग के केस को लेकर ईडी उनसे पूछताछ कर रही थी। लंबी पूछताछ के बाद उन्हे गिरफ्तार किया गया है।

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पिछले कई दिनों से ईडी के निशाने पर रहे शिवसेना सांसद संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया गया है। पात्रा चॉल जमीन घोटाले मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के केस को लेकर ईडी उनसे पूछताछ कर रही थी। लंबी पूछताछ के बाद रविवार को उन्हे गिरफ्तार किया गया। पात्रा चॉल घोटाला क्या है, कितना पुराना है ये मामला और आखिर इस मामले का संजय राउत से कनेक्शन कैसे है आइए जानते हैं। 

ईडी ने क्यों और कब की  राउत  की गिरफ्तारी ?

संजय राउत अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट के दौरान और सरकार गिरने के बाद भी उनके तीखे बयान सामने आते रहे हैं। हालांकि पिछले काफी वक्त से शिवसेना सांसद संजय राउत पर ईडी की नजर थी और उन पर  पात्रा चॉल जमीन घोटाले को लेकर गिरफ्तारी की गाज गिरी है।जब उन्हे गिरफ्तार कर ले जाया जा रहा था तो वो अपनी पार्टी का झंडा फहराते हुए नजर आए। रविवार से उनसे पूछताछ की जा रही थी और रात 12 बजे उन्हे गिरफ्तार किया गया।

जानकारी के मुताबिक संजय राउत को दो बार समन भेजा गया था। इनमें से एक 27 जुलाई को भेजा गया था। संजय राउत पेश नहीं हुए। ईडी ने उन्हे पात्रा चॉल मामले को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया था। भले ही मामले को लेकर पहले राउत ईडी के सामने पेश हो चुके हैं लेकिन उसके बाद दो बार उन्होंने ईडी के समन को नजरअंदाज किया और पेश नहीं हुए। सूत्रों के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि ईडी को राउत के घर से  कैश भी मिला है जिसका वो हिसाब नहीं दे पाए हैं।

क्या है पात्रा चॉल मामला और संजय राउत का कनेक्शन ?

पात्रा चॉल का मामला लगभग 15 साल पुराना 2007 का है। ये चॉल मुंबई के गोरेगांव में बनी है। यह महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी की जमीन है। 1034 करोड़ के घोटाले के आरोप होने के साथ ही इस पूरे मामले से संजय राउत का कनेक्शन बताया जा रहा है।

दरअसल, पात्रा चॉल में कुल 672 घर थे, जो 47 एकड़ जमीन पर फैला है। साल 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने पुनर्विकास परियोजना शुरू की और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) कंपनी को 672 किरायेदारों के पुनर्वास और इलाके के पुनर्विकास के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया।

इसके बाद जीएसीपीएल, टेनेंट्स सोसाइटी और म्हाडा के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ। इस बात को 14 साल हो चुके हैं और पात्रा चॉल के लोग अभी भी घर पाने का इंतजार कर रहे हैं। इस त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार जीएसीपीएल को पात्रा चॉल के 672 किरायेदारों को फ्लैट देना था। इसके अलावा म्हाडा के लिए 3500 से अधिक फ्लैट बनाने थे और फिर बची हुई जमीन निजी डेवलपर्स को बेचा जा सकता था।

आरोप ये है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने फ्लैट बनाने की बजाए 47 एकड़ जमीन के फ्लोर स्पेस इन्डेक्स (एफएसआई) को 9 अलग-अलग बिल्डरों को 901.79 करोड़ में बेच दिया।

इसके अलावा जीएसीपीएल ने 'द मीडोज' (The Meadows) नाम से एक परियोजना भी शुरू कर दी और फ्लैट खरीदारों से लगभग 138 करोड़ रुपये की बुकिंग हासिल कर ली। इस बीच चॉल के किरायेदारों ने जीएसीपीएल द्वारा परियोजना में देरी की शिकायत करनी शुरू कर दी। डेवलपर यानी जीएसीपीएल को प्रोजेक्ट पूरा होने तक इन लोगों को किराए का भुगतान भी करना था, लेकिन आरोप है कि ऐसा केवल 2014-15 तक ही किया गया था। लगभग उसी समय यह बात सामने आई कि जीएसीपीएल ने एक भी पुनर्वास वाले फ्लैट का निर्माण किए बिना जमीन के एफएसआई को निजी डेवलपर्स को बेच दिया था।

इसके बाद म्हाडा ने जनवरी 2018 में किराए का भुगतान न करने और अन्य अनियमितताओं के कारण जीएसीपीएल को टर्मिनेशन नोटिस जारी किया। हालांकि जिन नौ निजी डेवलपर्स ने जीएसीपीएल से एफएसआई खरीदा था, उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया। मामला अदालत में पहुंचने के बाद परियोजना ठप हो गई।

2020 में महाराष्ट्र सरकार ने 672 किरायेदारों के पुनर्वास और किराये के भुगतान के मसले के समाधान के लिए सेवानिवृत्त मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति नियुक्त की। इसके बाद जून 2021 में राज्य कैबिनेट ने एक बार फिर से चॉल के पुनर्विकास को मंजूरी दी और जुलाई 2021 में सरकारी प्रस्ताव जारी किया गया। 22 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आदेश पर रुके हुए निर्माण कार्य को फिर से शुरू किया गया।

ईडी ने क्या लगाए हैं आरोप?

ईडी के अनुसार, इन अवैध गतिविधियों से जीएसीपीएल ने 1,039.79 करोड़ रुपये का फायदा किया। जांच के अनुसार संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (एचडीआईएल) से 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए और इसे संजय राउत के परिवार सहित अपने करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्यों और व्यावसायिक संस्थाओं के विभिन्न खातों में उसे डायवर्ट किया। दरअसल प्रवीण राउत भी जीएसीपीएल में डायरेक्टर हैं। यहां ये भी बता दें कि जीएसीपीएल असल में एचडीआईएल की ही सहयोगी कंपनी है। 

ईडी के मुताबिक 2010 में संजय राउत की पत्नी वर्षा ने प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस 'आपराधिक आय' में 83 लाख रुपये प्राप्त किए। वर्षा ने इस पैसे का इस्तेमाल दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया।

ईडी की जांच शुरू होने के बाद वर्षा ने माधुरी को 55 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इस दौरान अलीबाग में किहिम समुद्र तट पर आठ भूखंड भी वर्षा राउत और संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के नाम से खरीदे गए। आरोपों के अनुसार इस जमीन के सौदे में विक्रेताओं को पंजीकृत मूल्य के अलावा नकद भुगतान किया गया। ईडी इन संपत्तियों को पहले ही इसी साल अप्रैल में अस्थाई तौर पर कुर्क कर चुकी है। ईडी ने राउत की पत्नी वर्षा  और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अप्रैल में कुर्क की थी।

टॅग्स :शिव सेनासंजय राउतमुंबईप्रवर्तन निदेशालय
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