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पश्चिम बंगाल: लॉकेट चटर्जी को वापस तृणमूल में लाने की तैयारी, ममता का भाजपा से हिसाब बराबर करने का इरादा

By हरीश गुप्ता | Updated: September 28, 2021 09:01 IST

हाल में बाबुल सुप्रियो के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि ममता बनर्जी की नजरें भाजपा के कुछ और असंतुष्ट नेताओं पर है।

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ठळक मुद्देहुगली से लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी को तृणमूल कांग्रेस में लाने की ममता बनर्जी कर रहीं कोशिश।सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी की निगाह भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य दलों में भी सेंध लगाने की है।नजदीकी सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी की भाजपा के कुछ राष्ट्रीय स्तर के असंतुष्ट नेताओं पर भी नजर।

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वर्तमान सांसद बाबुल सुप्रियो को पार्टी में शामिल करने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजर लॉकेट चटर्जी पर है। वह हुगली लोकसभा से भाजपा सांसद हैं।

पश्चिम बंगाल से मिल रही खबरों के मुताबिक लॉकेट का आज नहीं तो कल भाजपा से जाना तय है। उल्लेखनीय है कि बाबुल सुप्रियो भी पहले भाजपा छोड़ने की खबरों का खंडन करते थे लेकिन बाद में तो राजनीति छोड़ने की बात करने के बाद उन्होंने ममता का दामन थाम लिया था। 

कांग्रेस और दूसरे दलों पर भी ममता की नजर!

सूत्रों के मुताबिक अब ममता बनर्जी की निगाह भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य दलों में भी सेंध लगाने की है। बता दें कि लॉकेट चटर्जी पहले तृणमूल में थीं और भाजपा ने काफी प्रयास के बाद उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए मना लिया था।

नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'दीदी भबानीपुर विधानसभा उपचुनाव से पहले ही भाजपा को करारा झटका देना चाहती हैं। वह अब वही कर रही हैं जो इस साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उनके और उनकी पार्टी के साथ किया था।'

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने तृणमूल के अनेक असंतुष्टों को भाजपा में शामिल कर लिया था।

भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं पर भी नजर

नजदीकी सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी, भाजपा के कुछ राष्ट्रीय स्तर के असंतुष्ट नेताओं पर भी नजरें गड़ाए हुई हैं। ममता ने उनसे संपर्क साधा है और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को यह काम सौंपा गया है।

टीएमसी के राज्यसभा में नेता डेरेक ओब्रायन भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उधर जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी के बाद तृणमूल से जुड़ने वाले बाबुल सुप्रियो ने अभी तक सांसद पद नहीं छोड़ा है। उनका तर्क यह है कि लोकसभा अध्यक्ष ने अभी तक उन्हें वक्त नहीं दिया है और वह चाहते हैं कि इस्तीफा तय प्रक्रिया के मुताबिक ही हो।

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