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स्वदेशी 'विरुपाक्ष' रडार से लैस किए किए जाएंगे सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, होंगे और भी ज्यादा खतरनाक

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: October 20, 2023 14:06 IST

भारत के पास फिलहाल 250 से ज्यादा सुखोई विमान हैं और बहुत सारे भारतीय उपकरणों और हथियार प्रणालियों के साथ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू बेड़े को अपग्रेड करने की योजना बनाई जा रही है। सुखोई विमानों के बेडे़ को विरुपाक्ष नामक रडार से लैस किया जाएगा।

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ठळक मुद्देसुखोई विमानों के बेडे़ को विरुपाक्ष नामक रडार से लैस किया जाएगाभारत के पास फिलहाल 250 से ज्यादा सुखोई विमान हैंसभी सुखोई-30 वेरिएंट में से सबसे उन्नत होगा

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (आईएएफ) अपने सुखोई विमानों के बेडे़ को स्वदेशी हथियार प्रणालियों और विरुपाक्ष नामक रडार से लैस करने जा रही है। सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को भारतीय वायुसेना की रीढ़ कहा जाता है। भारत के पास फिलहाल 250 से ज्यादा सुखोई विमान हैं और बहुत सारे भारतीय उपकरणों और हथियार प्रणालियों के साथ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू बेड़े को अपग्रेड करने की योजना बनाई जा रही है। उन्नत विमान के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक स्वदेशी विरुपाक्ष रडार होगा जो जेट की क्षमता को बढ़ाएगा।

विरुपाक्ष रडार को विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है और यह दुनिया भर में उड़ाए जा रहे सभी सुखोई-30 वेरिएंट में से सबसे उन्नत होगा। 

बता दें कि भारतीय वायु सेना अपने उपकरणों को स्वदेशी बनाने के लिए एक मिशन मोड पर काम कर रही है और निकट भविष्य में भारतीय कंपनियों से तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के उपकरण खरीदने पर विचार कर रही है। सुखोई विमानों को विरुपाक्ष रडार से लैस करने की शुरुआती परियोजना भी 65 हजार करोड़ की है।

बता दें कि Su-30MKI एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है जो एस्ट्रा एमके-1 लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल और अन्य घातक हथियारों से लैस है। Su-30MKI भारत का अग्रिम पंक्ति का विमान है और परामाणु मिसाइल दागने में भी सक्षम है। यह 4.5 पीढ़ी का विमान है जो हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता रखता है। साथ ही यह विमान लंबी दूरी की गश्त और लड़ाकू मिशनों को भी अंजाम दे सकता है।

इससे पहले भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए को भारतीय रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस करने का फैसला किया गया था। अभी एलसीए में इजराइली रडार का इस्तेमाल हो रहा है जिसे भारतीय रडार 'उत्तम' से बदलने की योजना है।  तेजस एमके-1ए विमानों का अगली खेप 'अंगद' इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस होगी।

'उत्तम' एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रडार और अंगद इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है और जल्द ही इसे तेजस एमके-1ए विमान में एकीकृत किया जाएगा।  स्वदेशी उत्तम रडार 100 किमी दूर से ही दुश्मन के विमान को पहचान पाने में सक्षम है। ये एक साथ 50 टारगेट को ट्रैक कर सकता है।

टॅग्स :Sukhoiindian air forceमेक इन इंडियाMake in IndiaDefense
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