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कौन थे एकनाथ वसंत चिटनिस, विक्रम साराभाई के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 22, 2025 20:29 IST

फरवरी 1962 में अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, साराभाई और डॉ. चिटनिस की उपस्थिति में हुई एक बैठक में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी गई थी।

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ठळक मुद्देप्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के चेयरमैन के रूप में भी कार्य किया।1962 को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की गई।छह राज्यों के 2,400 गांवों में शैक्षिक कार्यक्रम पहुंचाए गए।

पुणेः विक्रम साराभाई के साथ मिलकर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने वाले एकनाथ वसंत चिटनिस का बुधवार को यहां निधन हो गया। परिवार के सदस्यों ने यह जानकारी दी। चिटनिस जुलाई में 100 वर्ष के हुए थे। सदस्यों ने बताया कि डॉ. वसंत चिटनिस पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और बुधवार सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा। दूरदर्शी वैज्ञानिक डॉ. चिटनिस ने केरल के थुम्बा में भारत के पहले रॉकेट प्रक्षेपण के लिए स्थल के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चिटनिस ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के चेयरमैन के रूप में भी कार्य किया।

दो दशकों से अधिक समय तक निदेशक मंडल में एक स्वतंत्र निदेशक के तौर पर रहे। फरवरी 1962 में अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, साराभाई और डॉ. चिटनिस की उपस्थिति में हुई एक बैठक में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी गई थी।

इस बैठक के कुछ दिन बाद, 13 फरवरी, 1962 को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की गई। पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. चिटनिस ने ‘सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट’ (साइट) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो नासा और इसरो का एक संयुक्त प्रयास था। इस प्रयोग के तहत नासा के एटीएस-6 उपग्रह का उपयोग कर छह राज्यों के 2,400 गांवों में शैक्षिक कार्यक्रम पहुंचाए गए।

जिसे ‘डायरेक्ट-टू-होम’ टेलीविजन प्रसारण का अग्रदूत माना जाता है। भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) कार्यक्रम की शुरुआत और सुदूर संवेदन अनुप्रयोगों की स्थापना में डॉ. चिटनिस की महत्वपूर्ण भूमिका थी। डॉ. चिटनिस ने 1981 से 1985 तक अहमदाबाद स्थित इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के दूसरे निदेशक के रूप में कार्य किया।

उन्होंने युवा प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें निखारा और तत्कालीन उभरते इंजीनियर एपीजे अब्दुल कलाम का व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन किया। डॉ. चिटनिस ने कलाम को उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना और उन्नत अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिए नामांकित किया। एपीजे अब्दुल कलाम बाद में भारत के राष्ट्रपति बने।

कोल्हापुर में 25 जुलाई, 1925 को जन्मे चिटनिस ने अपनी स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा पुणे में प्राप्त की थी और बाद में ‘मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ में अध्ययन किया। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के कुछ वर्षों बाद डॉ. चिटनिस पुणे चले गए, जहां वह पुणे विश्वविद्यालय से जुड़े रहे।

पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान और मुंबई स्थित राष्ट्रीय विज्ञान संचार केंद्र ने इस वर्ष जुलाई में ‘अंतरिक्ष, विज्ञान, नीति और नवाचार में अग्रणी’ विषय पर प्रोफेसर ई.वी. चिटनिस शताब्दी सम्मेलन का आयोजन किया। डॉ. चिटनिस के परिवार में उनके पुत्र डॉ. चेतन चिटनिस, पुत्रवधू अमिका और पोतियां तारिणी व चांदिनी हैं। डॉ. चेतन चिटनिस, पेरिस के पाश्चर संस्थान में मलेरिया से जुड़े एक प्रमुख अनुसंधानकर्ता हैं। 

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