नई दिल्ली: दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीअत-उलमा-ए-हिंद के 34वें आम अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी के बयान के बाद से जारी हुआ बयानबाजी का दौर रुक नहीं रहा। अब इस विवाद में उत्तर प्रदेश की संभल सीट से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क भी कूद पड़े हैं।
मौलाना अरशद मदनी के 'ओम और अल्लाह' वाले बयान को बेवजह विवाद पैदा करने वाला बताते हुए शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, "ओम और अल्लाह दोनों अलग-अलग हैं। मदनी का बयान ठीक नहीं है। उनके इस बयान से आपसी विवाद पैदा होगा। मुस्लिम अल्लाह को मानते हैं और हिंदू ओम को। दोनो एक नहीं हैं।"
दरअसल मौलाना अरशद मदनी ने सभी धर्मों के गुरुओं और संतों के समागम सत्र में मनु-आदम और ओम-अल्लाह की आपस में तुलना करते हुए बयान दिया था। अरशद मदनी के इस बयान से नाराज होकर विरोध जताने के लिए जैन मुनि आचार्य लोकेश मुनि मंच छोड़कर चले गए।
अरशद मदनी ने क्या कहा था
जमीअत-उलमा-ए-हिंद के 34वें आम अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने मंच से कहा, "मैंने बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे, न शिव थे, जब कोई नहीं था, तब सवाल पैदा होता है कि मनु पूजते किसे थे? कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। लेकिन उनके पास इल्म नहीं है। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि जब कुछ नहीं था दुनिया में तो मनु ओम को पूजते थे। तब मैंने पूछा कि ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि ये हवा है जिसका कोई रूप नहीं है। कोई रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह है उन्होंने आसमान बनाया, उन्होंने ज़मीन बनाई। मैंने कहा कि अरे बाबा, इन्हीं को तो हम 'अल्लाह' कहते हैं। इन्हीं को तो तुम 'ईश्वर' कहते हो। फारसी बोलने वाले 'खुदा' कहते हैं। अंग्रेजी बोलने वाले 'गॉड' कहते हैं। इसका मतलब ये है कि मनु यानी आदम, ओम यानी अल्लाह को पूजते थे।"
अपने संबोधन में मौलाना अरशद मदनी ने ये भी कहा था कि इस्लाम भारत में सबसे पुराना धर्म है। यह भूमि मुसलमानों की पहली मातृभूमि है। यह कहना सरासर गलत है कि इस्लाम ऐसा धर्म है जो भारत में बाहर से आया है।