कश्मीर: नौकरशाही का चोला उतारकर सियासत में दांव आजमाने वाले जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शाह फैसल दोबारा भारतीय प्राशासनिक सेवा की नौकरी ज्वाइन करने जा रहे हैं।
यूपीएससी के साल 2009 बैच के टॉपर आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने करीब 1 दशक तक भारतीय सिविल सेवा की नौकरी करने के बाद सेवा से इस्तीफा देते हुए कश्मीर में एक राजनीतिक दल का गठन किया था।
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) को लॉन्च करते समय शाह फैसल ने घाटी में शांति बहाली के लिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के बरक्स एक नई सोच को जन्म देने का प्रयास किया था लेकिन बीते तीन सालों में शाह फैसल इस दिशा में कोई खास कदम नहीं उठा पाये।
जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) की लॉन्चिंग के समय शहला मसूद के साथ मंच साझा करते समय शाह फैसल ने जम्मू-कश्मीर की पारंपरिक राजनीतिक दलों पर जमकर निशाना साधा था। लेकिन अब शाह फैसले सियासत में उतरने वाले अपने फैसले पर खुद ही निराश नजर आ रहे हैं।
मालूम हो कि शाह फैसल के द्वारा सिविल सेवा से दिये इस्तीफे को केंद्र सरकार की स्वीकार नहीं किया था। इस कारण फैसल के सिविस सेवा में लौटने का विकल्प अब भी खुला हुआ था। वहीं इस मामले में समचारा पत्र 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की है उसके मुताबिक गुरुवार 28 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इस बात की पुष्टि की है कि जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नौकरशाह शाह फैसल को फिर से सिविल सेवाओं में बहाल कर दिया गया है।
शाह फैसल ने सिविल सेवा से इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह कश्मीर में केंद्रीय सुरक्षाबलों द्वारा कथित की जा रही हत्याओं और घाटी के मुसलमानों को हाशिए पर छोड़े जाने का विरोध करते हैं।
शाह फैसल ने कहा कि उनका इस्तीफा उस विरोध का प्रतीक है, जिसमें केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भूलती जा रही है।
इसके साथ ही शाह फैसला का सबसे विवादित बयान उस संबंध में माना जाता है, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती रेप की घटनाओं का जिक्र करते हुए हिंदोस्तान को 'रेपिस्तान' कह दिया था। जिसके लिए शाह फैसल की ओर से कड़ी आलोचना हुई थी।