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SC verdict same sex marriages: कानून में बदलाव संसद का काम, CJI चंद्रचूड़ ने कहा- 4 फैसले हैं, कुछ में सहमति और कुछ में असहमति...

By सतीश कुमार सिंह | Published: October 17, 2023 12:15 PM

SC verdict same sex marriages: प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुना रहे हैं। 

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ठळक मुद्दे ‘‘गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है।’’‘‘समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है।’’पीठ ने 10 दिन की ‘मैराथन’ सुनवाई के बाद 11 मई को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

SC verdict same sex marriages: समलैंगिक विवाह मामले पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "चार फैसले हैं, फैसलों में कुछ हद तक सहमति और कुछ हद तक असहमति होती है।" समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए मंगलवार को कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।

न्यायालय कानून की केवल व्याख्या कर सकता है, उसे बना नहीं सकता। पीठ चार अलग-अलग फैसले सुनाएगी। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इस मामले में चार अलग-अलग फैसले हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह कहना ‘‘गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है।’’

फैसला सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों वाली इस संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति कौल, न्यायमूर्ति भट और न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने अलग-अलग फैसले लिखे हैं।

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है। उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद को करना है।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा। किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है।’’ पीठ ने 10 दिन की ‘मैराथन’ सुनवाई के बाद 11 मई को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

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