Rice Export Ban: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल शिपिंगकर्ता अधिकांश किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। यह कदम इस कारण उठाया जा रहा है क्योंकि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण जून में खुदरा महंगाई दर में चार महीने की गिरावट के बाद फिर से उछाल देखने को मिल रहा है। मानसून मौसम के कारण पहले से ही ऊंची वैश्विक कीमतों को और अधिक बढ़ सकती है।
जानकारों का मानना है कि सरकार सभी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर चर्चा कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि घरेलू कीमतें बढ़ती जा रही हैं और अधिकारी अधिक मुद्रास्फीति के जोखिम से बचना चाहते हैं।
ऐसे में अगर इले लागू किया जाता है तो प्रतिबंध भारत के लगभग 80 प्रतिशत निर्यात को प्रभावित करेगा। इस तरह के कदम से घरेलू कीमतें कम हो सकती हैं, लेकिन इससे वैश्विक लागत और भी अधिक बढ़ने का जोखिम है।
दुनिया में आधी आबादी का चावल प्रमुख खाना है
गौरतलब है कि चावल दुनिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन है, एशिया वैश्विक आपूर्ति का लगभग 90% उपभोग करता है। मानसून के कारण फसलों को नुकसान होने की आशंका के कारण बेंचमार्क कीमतें पहले ही दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। वैश्विक चावल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 40% है और उसने कुछ किस्मों के निर्यात को मजबूत करने की मांग की है।
भारत 100 से अधिक देशों को चावल की आपूर्ति करता है, जिसमें बेनिन, चीन, सेनेगल, कोटे डी आइवर और टोगो इसके सबसे बड़े ग्राहक हैं। प्रतिबंध की खबर से भारतीय चावल मिलर्स के शेयरों में गिरावट आई।
देश की सबसे बड़ी चावल कंपनी केआरबीएल लिमिटेड घाटे को कम करने से पहले 3.7% तक गिर गई। चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स लिमिटेड में 1.4% की गिरावट आई, कोहिनूर फूड्स लिमिटेड में 2.9% की गिरावट आई जबकि एलटी फूड्स लिमिटेड में 4.4% की गिरावट आई।
इंडोनेशिया, चीन और फिलीपींस जैसे आयातक इस साल आक्रामक रूप से चावल का भंडारण कर रहे हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, सात वर्षों में पहली बार उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो की स्थिति विकसित हुई है, जिससे कई चावल उगाने वाले क्षेत्रों में सूखा आने का खतरा है। भारत द्वारा संभावित प्रतिबंध से आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ जाएंगी।
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में चावल की खुदरा कीमतें इस साल लगभग 15% बढ़ी हैं, जबकि देश भर में औसत कीमत 8% बढ़ी है।