दिल्ली: तहलका पत्रिका की पूर्व पत्रकार राणा अय्यूब ने विदेशी चैनल 'अल जज़ीरा' के साथ एक बातचीत में दावा किया है कि उनके पास गुजरात दंगे के स्टिंग ऑपरेशन के टेप मौजूद हैं। जिसे पब्लिश करने के लिए उन्होंने कई मीडिया संस्थानों से कहा था लेकिन सभी ने इनकार कर दिया।
'अल जज़ीरा' के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये राणा की हुई इस बातचीत के दौरान मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सदानंद धूमे ने अय्यूब से पूछा कि अगर आपके पास टेप है तो उसे दिखाना चाहिए। इसके साथ सदानंद धूमे ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि अब तक न तो पुलिस को कोई सबूत दिखाए हैं और न ही उन टेप्स को कहीं रिलीज किया गया है।
वहीं 'अल जज़ीरा' के साथ हुई राणा की इस बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए 'न्यूज़लॉन्ड्री' की मधु त्रेहान ने ट्वविटर पर कहा, "राणा अयूब बार-बार कह रही हैं कि उन्होंने कई वेबसाइट को अपने टेप पब्लिश करने को कहा लेकिन सबने मना कर दिया है। मेरे साथ @newslaundry में उनके इंटरव्यू में मैंने उनके स्टिंग टेप्स को पब्लिश करने की पेशकश की थी और उन्होंने मना कर दिया था। ये बात वीडियो रिकॉर्ड पर भी है"।
मधु त्रेहन के द्वारा स्टिंग टेप्स को लेकर किये गये ट्वीट पर पलटवार करते हुए राणा अय्यूब ने भी ट्वीट में News Laundry के जनवरी 2016 के एक वीडियो को साझा करते हुए कहा, "मधु त्रेहन का कहना है कि उनके पास 'वीडियो रिकॉर्ड' है कि उन्होंने मेरे साथ इंटरव्यू में मेरे टेप पब्लिश करने की पेशकश की। मैं उनके साथ इंटरव्यू का लिंक youtu.be/2q32D9PlIcA यहां साझा कर रही हूं। हैलो मधु, कृपया आप बताएं कि इंटरव्यू के किस हिस्से में आपके द्वारा टेप पब्लिश करने की बात की गई है।"
'अल जज़ीरा' के साथ बातचीत में राणा अय्यूब ने यह भी कहा कि उनके स्टिंग ऑपरेशन को किसी भी मीडिया हाउस ने उस वक्त सही नहीं ठहराया था, जबकि साथ ही वह इस बात का भी दावा कह रही हैं कि उनके द्वारा 2007 में किये उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर गुजरात दंगों के एक मामले में सजा भी हुई थी।
राणा के स्टिंग दावे पर पत्रकार सदानंद धूमे ने कहा कि अगर ऐसा है तो आप स्टिंग टेप्स को क्यों नहीं किसी वेबसाइट पर रिलीज कर रही हैं। धूमे के इस सवाल के जवाब में राना अय्यूब कहती हैं कि उस वक्त उन्होंने उसे पब्लिश करने के लिए के लिए लगभग सभी बड़े मीडिया संस्थानों से संपर्क किया था, लेकिन कोई भी तैयार नहीं हुआ।
मालूम हो कि किताब "गुजरात फाइल्स - एनाटॉमी ऑफ ए कवर अप" के कारण सुर्खियों में रहने वाली राणा अय्यूब ने साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए कथिततौर पर तत्कालीन राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इशरत जहां की पुलिस मुठभेड़ पर भी सवाल उठाया था।
राणा अय्यूब साल 2007 में तहलका नाम की मैगजीन में काम करती थी। राणा ने तहलका में रहते हुए अपने पूर्व सहकर्मी और पूर्व आप नेता आशीष खेतान के साथ मिलकर कई खोजी पड़ताल को अंजाम दिया था।