चेन्नईः तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाये सात अभियुक्तों में एक नलिनी श्रीहरन को पैरोल दिया है। राज्य सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी। राज्य सरकार के वकील हसन मोहम्मद ने न्यायमूर्ति पी एन प्रकाश और न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ को यह जानकारी नलिनी की मां एस पद्मा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई के दौरान दी।
पीठ ने इस कथन को रिकॉर्ड करने के बाद ने याचिका पर सुनवाई बंद कर दी। अपनी याचिका में पद्मा ने कहा था कि उसे कई बीमारियां हैं और चाहती है कि उसकी बेटी उसके पास रहे। उसने कहा कि इस संबंध में उसने पैरोल के लिए एक महीने राज्य सरकार को कई आवेदन दिये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चेन्नई के समीप श्रीपेरूम्बुदूर में 21 मई, 1991 को लिट्टे की आत्मघाती बम हमलावर ने हत्या कर दी थी। इस मामले में सात लोग--मुरूगन, संथान, पेरारिवलन, जयकुमार, राबर्ट पायस, रविचंद्रन और नलिनी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
तमिलनाडु विधानसभा, जब 2018 में AIADMK सत्ता में थी, ने मामले में दोषी ठहराए गए सभी सात कैदियों को आजीवन कारावास की सजा देने के लिए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था। तत्कालीन राज्यपाल पुरोहित को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन उन्होंने दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की।
इस साल जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वे देरी से नाखुश हैं। इस साल फरवरी में, पुरोहित ने कहा कि राष्ट्रपति संकल्प पर निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी थे। मई में सरकार बनाने के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राष्ट्रपति कोविंद को पत्र लिखकर सात दोषियों की उम्रकैद की सजा माफ करने और उनकी तत्काल रिहाई का निर्देश देने का आग्रह किया।