नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में पीएम केयर्स फंड को भारत सरकार का फंड नहीं बताने के एक दिन बाद विपक्षी दलों ने अधिक पारदर्शिता की मांग करते हुए सवाल उठाया कि अगर ऐसा है तो सरकारी कर्मचारियों से उसमें दान करने के लिए क्यों कहा गया और सरकारी वेबसाइटों पर उसमें दान करने का लिंक क्यों है? द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया डॉट जीओवी डॉट इन और वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग जैसी आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों पर पीएम केयर्स में दान करने का लिंक मौजूद है. वहीं, पीएम केयर्स फंड का भी डॉट जीओवी डॉट इन से आधिकारिक पोर्टल है.
हालांकि, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के कई वेबसाइटों ने अब अब पीएम केयर्स के लिंक हटा लिए हैं.
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने 16 अप्रैल, 2020 को सभी सचिवों को पत्र लिखकर अपने मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सभी कर्मचारियों से कोष में योगदान करने की अपील जारी करने को कहा था. उन्होंने लिखा था कि सोर्स (दानदाता) से काटी गई राशि को फंड में भेजा जा सकता है।
आईएएस एसोसिएशन ने 22 अप्रैल, 2020 को एक ट्वीट में अपील का समर्थन किया और आईएएस अधिकारियों से फंड में योगदान करने का आह्वान किया था.
दो अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि मंत्रालय ने स्वैच्छिक दान के आदेश जारी किया था और उस समय उन्हें नहीं पता था कि पीएम केयर्स फंड आधिकारिक सरकारी फंड नहीं है.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकारी कर्मचारियों से एक दिन की सैलरी दान करने के लिए सरकार के अप्रैल, 2020 के आदेश को ट्वीट करते हुए कहा कि अगर पीएम केयर्स फंड सरकार का फंड नहीं है तो ऐसे आदेश कैसे जारी हो सकते हैं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह पीएम द्वारा, पीएम का और पीएम के लिए संचालित फंड है. प्रधानमंत्री के नाम वाला फंड सरकारी फंड नहीं है? लोगों की बुद्धिमत्ता के साथ अजीब मजाक है.
भाकपा महासचिव डी. राजा ने कहा कि सरकार के पारदर्शिता के दावे की पहचान तभी हो पाएगी जब वह सभी दानदाताओं और फंड के इस्तेमाल के तरीकों के बारे में बताएगी.
बता दें कि, बीते गुरुवार को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और इसकी राशि देश के खजाने में नहीं जाती है.
यह जवाब संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स फंड को 'सरकारी' घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया था.