पालघर मॉब लिचिंग मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई की है। सरकार ने पालघर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) गौरव सिंह को गुरुवार को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। यह कार्रवाई तीन हफ्ते बाद हुई है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को पालघर के गढ़चीनले गांव का दौरा किया, जहां 16 अप्रैल को यह घटना हुई थी। उनके साथ राज्य के डीजीपी सुबोध जायसवाल और राज्य सीआईडी के अधिकारी भी थे, जो अब मामले की जांच कर रहे हैं। अब तक 110 ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं घटना के पीछे के कारण को समझने के लिए वहां के चुने हुए प्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों से मिला। उनकी बात सुनने के बाद, सरकार ने फैसला किया कि पालघर के एसपी गौरव सिंह को जबरन छुट्टी पर भेज दिया जाए और अतिरिक्त एसपी पालघर को अंतरिम रूप से कार्यभार दिया जाए। ”
इससे पहले पालघर के कासा पुलिस स्टेशन में दो पुलिस इंस्पेक्टर सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया चुका है जबकि थाने से 35 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि विधायक, सांसद और गांव के सरपंच सहित स्थानीय प्रतिनिधियों से बात करने के बाद गृह मंत्री देशमुख को जानकारी मिली कि पुलिस को इलाके में चोर और बच्चे को उठाने वालों के बारे में अफवाह फैलाने की जानकारी थी। एक अधिकारी ने कहा, "यह अगर अफवाह फैलाने वालों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए गए होते तो इससे बचा जा सकता था।"
एक अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्री अनिल देशमुख को कई गिरफ्तार आरोपियों के परिवारों से भी आवेदन मिले जिसमें कहा गया कि पुलिस ने उनके परिजनों को गलत तरीके से उठाया है। देशमुख ने परिजनों से कहा है किवह सीआईडी जांच पूरी होने का इंतजार करेंगे।
पालघर की घटना 16 अप्रैल की रात की है जब दो साधू तथा उनका चालक किसी परिचित के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कार से मुंबई से गुजरात के सूरत जा रहे थे। उनके वाहन को पालघर जिले के एक गांव के पास रोक लिया गया जहां भीड़ ने बच्चा चोरी करने के संदेह में तीनों को कार से बाहर निकाला और उनकी लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी।
मृतकों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरि (70), सुशीलगिरि महाराज (35) और चालक निलेश तेलगड़े (30) के रूप में की गई। महाराष्ट्र सरकार ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।