नई दिल्ली: भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के कार्यालय ने कहा है कि जनगणना 2021 के हिस्से के रूप में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का डेटा एकत्र करने के लिए 2018 में केंद्र सरकार की घोषणा के संबंध में विचार-विमर्श और फाइल नोटिंग, उसके कार्यालय के पास उपलब्ध नहीं है.
आरजीआई ने द हिंदू द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में कहा कि अधिसूचित अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य जातियों, समुदायों और ओबीसी पर डेटा जनगणना में एकत्र नहीं किया जाता है.
31 अगस्त, 2018 को, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने घोषणा की थी कि अगली जनगणना अभ्यास के दौरान पहली बार ओबीसी डेटा एकत्र किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री ने 2021 की जनगणना की तैयारी की समीक्षा की शीर्षक वाले प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि पहली बार ओबीसी पर डेटा एकत्र करने की भी परिकल्पना की गई है.
2021 की जनगणना का पहला चरण को 1 अप्रैल, 2020 से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अपडेट के साथ आयोजित किया जाना था, को कोविड-19 महामारी के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करने वाला आरजीआई दस साल की जनगणना का संचालन करता है.
बता दें कि, केंद्र सरकार ने 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जहां उसने सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) आयोजित करने से इंकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जाति जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और बोझिल थी.
पहली बार 2011 में आयोजित किए गए एसईसीसी के तहत 130 करोड़ भारतीयों का डेटा एकत्र किया गया था और उसमें 46 लाख अलग-अलग जाति के नाम दिए, जबकि 1931 की अंतिम जाति जनगणना के अनुसार जातियों की कुल संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 4,147 थी.
डेटा सेट में खामियों का हवाला देते हुए सरकार ने एसईसीसी-2011 के जाति के प्रारंभिक आंकड़ों को भी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है. एसईसीसी-2011 ने केवल ओबीसी ही नहीं सभी जातियों का डेटा एकत्र किया था.
सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए राज्य स्तर और केंद्र में अलग-अलग ओबीसी सूचियां हैं. बिहार में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी जद (यू) सहित कई राजनीतिक दल ओबीसी जनगणना की मांग कर रहे हैं.