नई दिल्ली, 2 जुलाईः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पुनर्वास के नाम पर पेड़ों की कटाई पर 19 जुलाई तक रोक लगा दी है। एनजीटी ने नेशनल बिल्डिंग कॉन्सट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) और सेंट्र्ल पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (सीपीडब्यूडी) को इस बाबत निर्देश दिए हैं। इसके अलावा एनजीटी ने केंद्र सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर 4 जुलाई तक रोक लगा दी थी। एनजीटी इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई को करेगा। हरित पैनल ने परियोजना प्रस्तावकों से एक स्पष्ट विवरण देने और पेड़ों की सटीक संख्या के बारे में सूचित करने को कहा जिन्हें पुन: विकास परियोजना के लिए काटने का प्रस्ताव दिया गया है।
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इस याचिका को एक एनजीओ ने दायर किया है। याचिका के अनुसार पर्यावरण पर हो रहे नुकसान का आंकलन किए बिना ही पेड़ों की कटाई की मंजूरी दे दी गई है। एनजीओ के अध्यक्ष अनिल सूद ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बिना किसी जांच के अनुमति दे दी। याचिका में शहरी विकास मंत्रालय, सीपीसीबी, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को पार्टी बनाया गया है। एनजीटी ने पिछले वर्ष सितंबर में निर्देश दिए थे कि बिना पौधारोपण का काम पूरा किए पेड़ों की कटाई शुरू नहीं की जाएगी।
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क्या है पूरा मामला
दक्षिणी दिल्ली में पुनर्वास के नाम पर 17 हजार पेड़ों की कटाई पर भारी विरोध हो रहा है। लोगों ने पोस्टर बैनर के साथ पेड़ों की कटाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पेड़ों की कटाई पर 4 जुलाई तक की रोक लगा दी थी। पुनर्वास के नाम पर दक्षिणी दिल्ली के किदवई नगर में 1123, नेताजीनगर इलाके में 2294, नारोजीनगर में 1454, मोहम्मदपुर में 363 जबकि सरोजनी नगर में 11 हजार पेड़ काटने की योजना है।
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